गपशप
का हो लोगन कइसन हउअ जा बाल बच्चा सब मस्ती में अउर सुनावल जाएं। आज कल जेके देखे ऊ या ता राजनितिक ह या समाजसेवी। हरे हिसाब से दूसर वाला बनल सही ह। राजनीति महे क घटिया चीज ह हमरे बदे और हम एकर खामियाजा भी भगत चुकल हई एही से कहत हई। जाय द ई सब बकवास और आपन हिसाब-किताब ठीक कराल जाए। त लोगन एदा पारी बरसात से पाहिले जितना हो सके एक-दू रुपया जोड़ के पौधा ख़रीदे का तैयारी रखा। हमनी के गांव में कोई बहरी आकर पेड़ पौधा नाही लगावेला हमनी खुदही मजबूत है।
त हमनी सरकार पे कहे निर्भर रहल जाइ ? लोगन अपने अपने एरिया बाट लेवल जाइ और पेड़ पौधा लगावल और लगबावल जाइ। हमनी काशी वासी हई जहाँ का राजा मांगी-मांगी के आपन राज्य के बढ़िया से चलइलस और मालवीय जी मांगी के इतना बड़ा विश्वविद्यालय बनवा देहलन ता हमनी पेड़ पौधा नहीं लगवा पायल जाइ।
अब इ बुढ़ौती में हमसे बहुत त नाहि हो पाई पर लोगन जितना कहबा हम शरीरी से मेहनत कर देब त अब सोचले कोउनो फायदा नाहि बा और लोगन तैयार रहल जा बारिश आए से पाहिले पेड़ पौधा लगाए बदे।
बाकी मिले पे।
- बाबा सुतनखु
aap se milne ki bhi echha hai.. aap aise hi likhte rahiye..ek prasansak
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