नारी जगमाता की मूरत
एक दिन गणेश ने नाखून से एक बिल्ली को ख़रोंच दिया। घर आने पर उन्होंने माता पार्वती के गाल पर खरोंच देख कर पूछा, माता आपके गाल पर यह कैसे? तब माता पार्वती ने बोला यह तुमने ही तो नोचा है. गणेश जी ने आश्चर्य से बोला माता मैं तो अभी लौट रहा हूँ घर को, मैंने तो नहीं किया माँ। माता पुनः बोलीं तुमने बिल्ली के गाल पर खरोंचा जो था। गणेश जी ने कहा, " हाँ माँ बिल्ली को तो खरोंचा था पर निशान तुम्हारे गाल पर कैसे?" तब जगतजननी ने कहा,"पुत्र संसार के हर चीज़ में मै ही हूँ, मेरी आत्मा ही सबमे है। तुम जिस भी वस्तु को चोट पहुंचाते हो तो वह मुझे ही लगती है। " सुनकर गणेश आश्चर्यचकित रह गए और उन्होंने आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली। सर्वत्र सभी नारियों में माँ की सत्ता का ज्ञान होने के कारण उनके लिए विवाह करना सम्भव नहीं था।
जिनको भी नारी के माता रूप का ज्ञान हो जाता है उसके लिए नारी पूजनीय हो जाती है फिर वह भोग की दृष्टी से उसको कभी नहीं देख पता।
बोधकथाएँ
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