जीवन में तमाम ऐसे उतार-चढ़ाव आते हैं, जब हमें प्रेम, क्षमाशीलता, कमियों की अनदेखी, अपनेपन, वात्सल्य आदि की बेहद जरूरत होती है। आइए, इसे इस प्रकार समझने प्रयास करते हैं-
एक व्यक्ति ने अप्रतिम सुंदरी से विवाह किया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था। अचानक एक दिन उसकी पत्नी को चर्म रोग हो गया, कारणवश उसकी सुंदरता कुरूपता मे परिवर्तित होने लगी। इस बीच अचानक एक दिन दुर्घटना से उस व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई। दोनों पति-पत्नी का जीवन तकलीफों के बावजूद एक-दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक बीतने लगा।
पत्नी दिन-प्रतिदिन अपनी सुंदरता खो रही थी, पर पति के देख न पाने के कारण उसके प्यार में कोई कमी नहीं आ रही थी। दोनों का दांपत्य जीवन बड़े प्रेम से चल रहा था। रोग बढ़ते रहने के कारण पत्नी की मृत्यु हो गई, पति को बहुत दुख हुआ और उसने उसकी यादों के साथ जुड़ा होने के कारण उस शहर को छोड़ देने का विचार किया।
उसके एक मित्र ने कहा, "अब तुम पत्नी के बिना अंजान जगह अकेले कैसे चल फिर पाओगे ? तब उसने कहा, "मैं अंधा होने का नाटक कर रहा था, क्योंकि अगर मेरी पत्नी को यह पता चल जाता कि मैं देख सकता हूं, तो उसे अपने रोग से ज्यादा अपनी कुरुपता पर दु:ख होता और मैं उसे इतना प्यार करता था कि किसी भी हालत में उसे दु:खी नहीं देख सकता था। वह एक बहुत ही अच्छी पत्नी थी और मैं उसे हमेशा खुश देखना चाहता था।
आज की सीख
कभी-कभी हमारे लिए भी अच्छा है कि हम कुछ मामलों में अंधे बने रहें , वही हमारी खुशी का सबसे बड़ा कारण होगा। बहुत बार दांत जीभ को काट लेते हैं, फिर भी मुंह में एकसाथ रहते हैं। यही क्षमा कर देने का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी प्रकार मानवीय रिश्ते बिना एक-दूसरे के हमेशा अधूरे हैं, इसलिए हमेशा जुड़े रहें।
ऊं तत्सत..
एक व्यक्ति ने अप्रतिम सुंदरी से विवाह किया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था। अचानक एक दिन उसकी पत्नी को चर्म रोग हो गया, कारणवश उसकी सुंदरता कुरूपता मे परिवर्तित होने लगी। इस बीच अचानक एक दिन दुर्घटना से उस व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई। दोनों पति-पत्नी का जीवन तकलीफों के बावजूद एक-दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक बीतने लगा।
पत्नी दिन-प्रतिदिन अपनी सुंदरता खो रही थी, पर पति के देख न पाने के कारण उसके प्यार में कोई कमी नहीं आ रही थी। दोनों का दांपत्य जीवन बड़े प्रेम से चल रहा था। रोग बढ़ते रहने के कारण पत्नी की मृत्यु हो गई, पति को बहुत दुख हुआ और उसने उसकी यादों के साथ जुड़ा होने के कारण उस शहर को छोड़ देने का विचार किया।
उसके एक मित्र ने कहा, "अब तुम पत्नी के बिना अंजान जगह अकेले कैसे चल फिर पाओगे ? तब उसने कहा, "मैं अंधा होने का नाटक कर रहा था, क्योंकि अगर मेरी पत्नी को यह पता चल जाता कि मैं देख सकता हूं, तो उसे अपने रोग से ज्यादा अपनी कुरुपता पर दु:ख होता और मैं उसे इतना प्यार करता था कि किसी भी हालत में उसे दु:खी नहीं देख सकता था। वह एक बहुत ही अच्छी पत्नी थी और मैं उसे हमेशा खुश देखना चाहता था।
आज की सीख
कभी-कभी हमारे लिए भी अच्छा है कि हम कुछ मामलों में अंधे बने रहें , वही हमारी खुशी का सबसे बड़ा कारण होगा। बहुत बार दांत जीभ को काट लेते हैं, फिर भी मुंह में एकसाथ रहते हैं। यही क्षमा कर देने का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी प्रकार मानवीय रिश्ते बिना एक-दूसरे के हमेशा अधूरे हैं, इसलिए हमेशा जुड़े रहें।
ऊं तत्सत..
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