नन्ही गिलहरी से गौतम बुद्ध ने पाया ज्ञान - Kashi Patrika

नन्ही गिलहरी से गौतम बुद्ध ने पाया ज्ञान

गिलहरी और गौतम बुद्ध की कहानी


यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान गौतम बुद्ध को अपने जीवन रहस्यों को मालूम करने के लिए बहुत दिनों तक कठोर साधना में लगे रहना पड़ा था, लेकिन उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी। ऐसे में वह बहुत कठिनाईयों और परेशानियों से घिर गए थे।

एक दिन वह निराश होकर इस सोच में पड़ गए थे कि “अभी तक कुछ प्राप्त नहीं कर पाया हूं… क्या आगे कर पाउंगा?”  काफी हताश होकर उन्होंने अपनी तपस्या को बीच में ही छोड़ देने का और वापस घर लौटने का फैसला कर लिया था।

भगवान बुद्ध अपनी लड़खड़ाती हुई कदमों से वापस लौट ही रहे थे कि तभी उन्हें ज़ोरों की प्यास लगी। पानी की तलाश करते-करते वह एक झील के किनारे जा पहुंचे। उन्होंने अपनी प्यास बुझाई और फिर थोड़ी देर के लिए वहीं विश्राम करने लग गए।

गौतम बुद्ध अपने परेशान मन को ठंडा कर ही रहे थे कि उन्हें अचानक सामने एक दृश्य दिखा जहां एक नन्ही गिलहरी झील में अपनी पूंछ भिगा रही थी और फिर बाहर पानी को छिड़क रही थी… ऐसा वह लगातार करती जा रही थी। नन्ही सी गिलहरी को ऐसा बार-बार करते देख गौतम बुद्ध को जिज्ञासा होने लगी कि आखिर यह गिलहरी ऐसा क्यों कर रही है???

बिना देरी करते हुए उन्होंने गिलहरी से पूछ ही लिया कि – “प्यारी गिलहरी तुम यह क्या कर रही हो?” इस सवाल के जवाब में गिलहरी ने दृढ़ स्वर में कहा कि “इस झील के पानी ने मेरे बच्चो को बहा कर मार डाला है… मैं इससे बदला ले रही हूं… झील को इस प्रकार सूखा कर ही दम लूंगी।


गिलहरी के इस जवाब पर गौतम बोले कि – “तुम इस विशाल झील को सूखा रही हो, इसमें  तो कितने युगों का समय लग जाएगा… इस तरह तुम इस झील को कभी नहीं सुखा पाओगी…” गिलहरी बड़ी दृढ़ता के साथ बोलती है कि – “यह झील सूखेगी या नहीं ये तो मैं नहीं जानती, पर मैं अपना काम करती रहूंगी।

यह सुन कर गौतम के मन में उथल-पुथल सी मच गई। वह सोच में पड़ गए कि जब यह नन्ही सी गिलहरी इतना बड़ा सपना देख सकती है, तो मैं तो मनुष्य हूं… मैं तो इससे हज़ार गुना अधिक क्षमता रखता हूं। फिर वह वापस साधना करने लौट गए और अपने लक्ष्य में सफल होकर ही लौटे।

एक नन्ही गिलहरी गौतम बुद्ध को यही सीख दे गई कि अगर हम प्रायस करना ना छोड़े तो एक न एक दिन लक्ष्य की प्राप्ति हो ही जाती है।

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