बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

गपशप 

का हो लोगन कइसन हउअ जा; बाल बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाए। अब धीरे-धीरे रतिया खानी गर्मी बढ़ल जात ह का कहत हउअ जा।

चला गर्मी ह ता गर्मी लगबे करी वैसहु हमरे बदे गर्मी-जाड़ा बा तू लोगन त अभी जवान हउअ जा। आज खरपत्तू कहत रहल की रामखिलावन भी तोहने से बात करल चाहत ह। ला ता अब आज रामखिलावन के सुनल जा। 

रामखिलावन : महादेव- बचवा लोगन जा, इ सुतनखुआ का बात तू लोग कम सुनल करा नहीं त तोहनी के भी आपन तरह पर्यावरण प्रेमी बना देइ। अभी तोहनी के खेले खाय का दिन ह अभी से एकर बात मनवा त भारत बदल जाइ। आज पहली बार एही खातिर हमनी बात कर पावत हई नाही त हमरा खानी इंटरनेट के इ भी नहीं आवला। वैसे इ पर्यावरण बदे जो भी कहा ला ता मानल करे हवा अउर पानी सब ठीक हो जाइ। 

बाकि मिले पे। 

- बाबा सुतनखु अउर रामखिलावन 




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