सर्वोतम पक्षकार - Kashi Patrika

सर्वोतम पक्षकार

“रहिमन धागा प्रेम का, मत टोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय” इसी सोच के साथ हम रोज हम आपसे आपके समय की अपेक्षा करते रहे है और आगे भी करते रहेंगें। 

आज का आपका ये पक्षकार सर्वोत्तम हो ये भी आप पर ही निर्भर करता है। 
तो चलते है आपके सर्वोत्तम पक्षकार के साथ। 

मेरा परिचय बस अगर मेरा नाम है तो मेरा नाम संध्या है और मैं एक स्कूल की शिक्षिका हूं। इंटरमीडियट तक की पढाई मेरे विद्यालय में होती है और ये मेरे सबसे सुखद सपने का सच होना भी है। मैंने अपनी पढाई बड़ी कठनाइयों के बीच की हैं और निरंतर आगे बढ़ते रहना मेरी सीख है जो मैं आप के साथ साझा करने जा रही हूं। 

मैंने कठिन समय का सामना करते हुए अपने अंग्रेजी की मास्टर की पढाई पूरी की और आगे बी० एड० किया। दिन बीतते जा रहे थे और पढाई के साथ मुझे अपने पैरो पर खड़े होने की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही थी ये हर दिन महसूस हो रहा था; फिर भी मैंने टूशन कर के अपनी पढाई पूरी की और आगे के रस्ते पर चल पड़ी। 

आज जहां मैं खड़ी हूं वहां से पीछे मुड़कर देखना अपने जख्मों को कुरेदने जैसा महसूस होता है तो मैं भविष्य के साथ अपने सपनो का संवाद अपने बच्चों के माध्यम से हर दिन कर रही हूं और ईश्वर से प्रार्थन करती हूँ कि कल मेरा कोई छात्र जब आपसे मिले तो मेरे बुने सपनों के सर्वोत्तम पायदान पर खड़ा दिखाई दे। 

आगे आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपने बच्चों का विशेष ध्यान दे और हो सके तो उनके सपनों को पूरा करने में अमूल्य सहयोग प्रदान करे फिर चाहे परिस्थितियां जो भी हो। 


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