संग्रह ही दुःख का कारण है
एक जहग धीवर मछली मार रहे थे, एक चील झपटकर एक मछली ले गयी, परंतु मछली को देखकर करीब एक हज़ार कौए उसके पीछे लग गये और साथ ही कांव-कांव करके बड़ा हल्ला मचाना शुरू कर दिया. मछली को लेकर चील जिस तरफ जाती कौए भी उसके पीछे-पीछे उसी तरफ जाते. चील दक्षिण की ओर गयी तब कौए भी उसी ओर गये. जब वह उत्तर को गयी तब कौए भी उत्तर की ओर चल पड़े.उसी तरह पश्चिम और पूर्व की ओर भी चील चक्कर काटने लगी. अंत में घबराहट के मारे उसके चक्कर लगाते हुए मछली उससे छूट कर ज़मीन पर गिर पड़ी .तब वे कौए चील को छोड़ कर मछली की ओर उड़े.
चील तब निश्चिंत होकर एक पेड़ की डाल पर जा बैठी.बैठी हुई सोचने लगी, 'कुल बखेडे की जड़ यही मछली थी;अब वह मेरे पास नहीं है इसीलिए मैं निश्चिंत हूँ.
श्रीरामकृष्ण -कथित बोधकथा
एक जहग धीवर मछली मार रहे थे, एक चील झपटकर एक मछली ले गयी, परंतु मछली को देखकर करीब एक हज़ार कौए उसके पीछे लग गये और साथ ही कांव-कांव करके बड़ा हल्ला मचाना शुरू कर दिया. मछली को लेकर चील जिस तरफ जाती कौए भी उसके पीछे-पीछे उसी तरफ जाते. चील दक्षिण की ओर गयी तब कौए भी उसी ओर गये. जब वह उत्तर को गयी तब कौए भी उत्तर की ओर चल पड़े.उसी तरह पश्चिम और पूर्व की ओर भी चील चक्कर काटने लगी. अंत में घबराहट के मारे उसके चक्कर लगाते हुए मछली उससे छूट कर ज़मीन पर गिर पड़ी .तब वे कौए चील को छोड़ कर मछली की ओर उड़े.
चील तब निश्चिंत होकर एक पेड़ की डाल पर जा बैठी.बैठी हुई सोचने लगी, 'कुल बखेडे की जड़ यही मछली थी;अब वह मेरे पास नहीं है इसीलिए मैं निश्चिंत हूँ.
श्रीरामकृष्ण -कथित बोधकथा
No comments:
Post a Comment