बेबाक हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक हस्तक्षेप


देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों की संख्या में ही इजाफा नहीँ हो रहा, बल्कि समाज में बच्चियों की असुरक्षा का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए शनिवार को ढाई घंटे की माथापच्ची के बाद कैबिनेट में अध्यादेश को मंजूरी दी, जिसके तहत 12 साल तक की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा का रास्ता खुल गया है। राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद इसे कानूनी जामा पहनाने का प्रावधान किया जाएगा। यह और बात है कि कानून का डर ऐसे अपराधों पर कितना लगाम कस पाता है, क्योंकि समाज की मानसिकता में बदलाव के बिना ऐसे अपराधों पर लगाम कसना कठिन लगता है।
फिलहाल, बलात्कार की बढ़ती वारदातें गंभीर चिंता का विषय हैं। ऐसी घटनाएं समाज और सरकार दोनों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि हमारा समाज पुरुषवादी समाज है, जिसमें स्त्री को सिर्फ भोग की वस्तु ही समझा जाता है। सबसे चिंताजनक पहलू तो यह है कि देश में मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के सिर्फ मध्यप्रदेश से संबंधित वर्ष 2015 और 2016 के आंकड़ों पर गौर करें, तो राज्य में एक साल में बलात्कार के मामलों में ग्यारह फीसद की वृद्धि हुई है। इसकी तुलना में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले 58 प्रतिशत बढ़ गए हैं। वर्ष 2015 में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के 1570 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2016 में बढ़ कर 2479 हो गए। इसमें भी चिंता की बात यह है कि बलात्कार के ज्यादातर मामलों में आरोपित पीड़िता के परिचित ही होते हैं। इस मानसिक विकृति और स्त्री विरोधी अपराधों के लिए हमारा सामाजिक ढांचा भी जिम्मेदार है।
कुल मिलाकर बलात्कार जैसे घृणित अपराध को रोकने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है। सख्त कानून के साथ ही सामाजिक स्तर पर भी बदलाव की आवश्यकता है। बचपन से ही बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए, उन्हें महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाए तो कुछ बदलाव की उम्मीद है। हमारे समाज में आज भी नैतिकता या रोकटोक का पाठ सिर्फ लड़कियों को पढ़ाया जाता है।
इसके अलावा, ऐसे मामलों को सामने लाना चाहिए। यौन हिंसा के ज्यादातर मामले तो सामने भी नहीं आते और ऐसे मामलों में पीड़ित घर की चारदीवारी में घुटते चले जाते हैं। इससे इन अपराधियों का मनोबल बढ़ता है। अंततः बात बच्चियों की हो या महिलाओं की, बलात्कार बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है, जिसके साए में स्वास्थ्य और मजबूत समाज नहीँ पनप सकता, जो देश की तरक्की में भी बाधक है, इसलिए हमें मिलजुलकर इसे दूर करने की पहल करनी चाहिए।
-संपादकीय

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