देह अनित्य,आत्मा शाश्वत
एक सती साध्वी, भगवत्परायण स्त्री संसार में रहकर पति- पुत्रों की सेवा तथा भगवतचिंतन किया करती थी। एक दिन उसके पति का किसी रोग से देहांत हो गया। पति का अंतिम संस्कार अदि पूरा कर उस स्त्री ने अपने हाथो की कांच की चूड़ियां फोड़ उसकी जगह सोने के कड़े पहन लिए। उसके इस विचित्र कार्य को देख लोगों ने उससे इसका कारन पूछा। तब वह बोली,' इतने दिनों मेरे पति की देह कांच की चूड़ियों की ही तरह क्षणभंगुर थी। उनकी वह अनित्य देह चली गयी है। अब वे क्षणभंगुर नहीं रहे, वे नित्य अखण्डस्वरूप हैं। इसी से मैंने कांच की चूड़ियां फोड़कर पक्के घहने पहन लिए।'
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