मोक्षदायिनी भाग-2⃣ - Kashi Patrika

मोक्षदायिनी भाग-2⃣

जगत की सीमाओं में बंधी होने के बावजूद काशी सभी बंधनों से मुक्त है, "...या बुद्धा भुवि मुक्तिदा स्युरमृतं यस्यां मृता जन्तवः' अर्थात् काशी मोक्ष प्रदायिनी है। गर्ग संहिता में कहा गया है," भगवान शंकर की महापुरी का नाम काशी है, जहाँ पापी भी प्राण त्याग करके तत्काल मोक्ष प्राप्त करता है।"


सर्वधर्मफलं सम्यक् काश्यां श्रद्धयेद्यदा मनः।
काशी ब्रह्मेति विख्याता यद्विवर्तो जगद् भ्रमः।।

जब मन की काशी में श्रद्धा हो जाती है, तब सभी धर्मों का फल ठीक-ठाक मिल जाता है। काशी ब्रह्मरूप से विख्यात है, यह संसार जिसका भ्रमरूप विवर्त्त है।

यथा लौहं स्पर्शमणौ पतितं कनकं भवेत्।
तथा काश्यां ब्रह्मरूपं प्राप्नुयाच्छिवरूपताम्।।
जैसे पारसमणि से स्पर्श होने पर लोहा भी स्वर्ण बन जाता है, उसी प्रकार काशी में शिव जी के सान्निध्य से जीवमात्र ब्रह्मरूप हो जाता है।
(सन्दर्भ:काशी का माहात्म्य)

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