शपथ के बहाने शक्ति प्रदर्शन - Kashi Patrika

शपथ के बहाने शक्ति प्रदर्शन


कर्नाटक में बुधवार को जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन ने एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में सत्ता संभाल ली। कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया है, तो वहीं कांग्रेस के जी परमेश्वर को उप-मुख्यमंत्री पद मिला। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के साथ ही जहां कर्नाटक में लंबे समय से चल रहे सियासी उठापटक का अंत हुआ, वहीं “शपथ मंच” पर एकजुट हुए विभिन्न दलों के सियासतदारों ने आगामी लोकसभा चुनाव में नई उम्मीदों के गठन का संकेत दिया। हालांकि, कुछ बड़े नेताओं की अनुपस्थिति से इन कोशिशों को झटका जरूर दे दिया।

“दुश्मनों” में दोस्ती
कहा जाता है कि 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त' होता है, आज कर्नाटक में यही चरितार्थ
होता दिखा, जब कर्नाटक में एक ही मंच पर धुरविरोधी रहे विभिन्न दलों के प्रमुख साथ दिखे। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में 13 दलों के प्रमुख पहुंचे जिनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी, डी. राजा, चंद्रबाबू, पिनाराई विजयन, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार,  हेमंत सोरेन, अजित सिंह मौजूद थे। इस दौरान सोनिया गांधी ज्यादातर मायावती-ममता के साथ रहीं, वहीँ राहुल अखिलेश-चंद्रबाबू के साथ दिखाई पड़े। इस मंच पर मौजूद कांग्रेस-जेडीएस समेत 13 दलों के पास अभी लोकसभा में 133 सीटें हैं। यह आंकड़ा भाजपा की मौजूदा 272 लोकसभा का 48% है। अगर 2019 में ये सभी दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं और एकदूसरे के वोट नहीं काटते हैं, तो उनकी सीटों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है।

कुमास्वामी ने लगाई मुहर
शपथ के बाद कुमारस्वामी ने कहा, "कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार दूसरे दलों की सरकारों से बेहतर तरीके से चलेगी। हमने राज्य के विकास के लिए मिलकर काम करने का फैसला किया है। पूरे देश से जो नेता यहां आए हैं, उन्होंने देश को
यही संदेश दिया है कि हम एक हैं। 2019 में राजनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव होगा। ये नेता हमारी सरकार की हिफाजत के लिए यहां नहीं आए थे। हमारी सरकार स्थानीय कांग्रेस और जेडीएस नेताओं द्वारा सुरक्षित रहेगी।'

नदारद रहे ये दिग्गज
एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह के मंच से थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिशें की नींव जरूर रखी गई, लेकिन कुछ बड़े नेताओं के न आने से इन कोशिशों को झटका लगता जरूर दिखा। कई क्षेत्रीय पार्टियों ने कुमारस्वामी के शपथ समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में थर्ड फ्रंट की कवायद पर ब्रेक सा लगता दिख रहा है। शिवसेना का कोई नेता इस समारोह में नहीं आया। डीएमके तमिलनाडु की अहम पार्टी है, जिसके कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन को  समारोह का न्यौता दिया गया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे।

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