कहते है किसी शहर को नजदीक से जानना हो तो उसके इतिहास को खंगालना चाहिए। आपको शहर के बारे में बहुत से तथ्यों का ज्ञान हो जाएगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक शहर ऐसा भी है जो हमें बार बार अपने इतिहास को खोजनें के लिए कहता हैं। आइये चलते हैं अपने जौनपुर के सफर पर -
४० लाख़ से अधिक की आबादी वाले इस जिले का अधिकतर भाग ग्रामीण इलाकों से घिरा हैं। मुख्यतः जनसँख्या का घनत्व शहरी इलाकों में सिमटा पड़ा हैं। ४,०३८ स्क्वॉयर किमी में बसे जिले की मुख्य तहसीलें जौनपुर, शाहगंज, मच्छलीशहर, मड़ियाहू, केराकत और बदलापुर हैं।
यह नगर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार जमदग्नि ऋषि के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। जमदग्नि का एक मंदिर यहाँ आज भी स्थित है। यह भी कहा जाता है कि इस नगर की नींव १४वीं शती में 'जूना ख़ाँ' ने डाली थी, जो बाद में मुहम्मद तुग़लक़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और दिल्ली का सुल्तान हुआ। जौनपुर का प्राचीन नाम 'यवनपुर' भी बताया जाता है। १३९७ ई. में जौनपुर के सूबेदार ख़्वाजा जहान ने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ की अधीनता को ठुकराकर अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी और शर्की नामक एक नए राजवंश की स्थापना की। इस वंश का यहाँ प्राय: ८० वर्षों तक राज्य रहा।
जौनपुर में देखने लायक स्थल :
शाही किला
यहाँ के अनेकों स्थलों के बीच शाही किले की अपनी पहचान हैं। इस किले का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने सन १३६२ ई० में करवाया था। यह किला गोमती नदी के किनारे स्थित हैं।
अटाला मस्जिद
शहर के बीचोंबीच स्थित इस मस्जिद का निर्माण इब्राहिम शाह शर्की ने १४०८ ईस्वी में करवाया था। कहते हैं यहाँ कभी अटाला देवी का भव्य मंदिर हुआ करता था जिसे तोड़ कर बाद में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया।
झांझरी मस्जिद
गोमती नदीं के उत्तरी किनारे पर स्थित इस मस्जिद का निर्माण भी इब्राहिम शाह शर्की ने करवाया था। यहाँ की सुंदरता देखते ही बनती हैं।
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जौनपुर |
जौनपुर
मध्यकाल में मुगलों के आधीन रहा शहर जौनपुर कभी शर्क़ी राजाओं की ख्वाबगाह हुआ करता था। अपने तरह की अनोखी निर्माण शैली के कारण, कभी यहाँ के दरों-दीवार; दिल्ली की शान-ओ-शौकत को मात देते थे। राजनीतिक गलियारों में जौनपुर का नाम बड़ी अदब से लिया जाता था। किसी ज़माने में यहाँ के राजाओं ने तुगलकों की आधीनता ठुकराकर अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित भी की थी।४० लाख़ से अधिक की आबादी वाले इस जिले का अधिकतर भाग ग्रामीण इलाकों से घिरा हैं। मुख्यतः जनसँख्या का घनत्व शहरी इलाकों में सिमटा पड़ा हैं। ४,०३८ स्क्वॉयर किमी में बसे जिले की मुख्य तहसीलें जौनपुर, शाहगंज, मच्छलीशहर, मड़ियाहू, केराकत और बदलापुर हैं।
यह नगर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार जमदग्नि ऋषि के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। जमदग्नि का एक मंदिर यहाँ आज भी स्थित है। यह भी कहा जाता है कि इस नगर की नींव १४वीं शती में 'जूना ख़ाँ' ने डाली थी, जो बाद में मुहम्मद तुग़लक़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और दिल्ली का सुल्तान हुआ। जौनपुर का प्राचीन नाम 'यवनपुर' भी बताया जाता है। १३९७ ई. में जौनपुर के सूबेदार ख़्वाजा जहान ने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ की अधीनता को ठुकराकर अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी और शर्की नामक एक नए राजवंश की स्थापना की। इस वंश का यहाँ प्राय: ८० वर्षों तक राज्य रहा।
जौनपुर में देखने लायक स्थल :
शाही किला
यहाँ के अनेकों स्थलों के बीच शाही किले की अपनी पहचान हैं। इस किले का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने सन १३६२ ई० में करवाया था। यह किला गोमती नदी के किनारे स्थित हैं।
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शाही किला जौनपुर |
अटाला मस्जिद
शहर के बीचोंबीच स्थित इस मस्जिद का निर्माण इब्राहिम शाह शर्की ने १४०८ ईस्वी में करवाया था। कहते हैं यहाँ कभी अटाला देवी का भव्य मंदिर हुआ करता था जिसे तोड़ कर बाद में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया।
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अटाला मस्जिद जौनपुर |
झांझरी मस्जिद
गोमती नदीं के उत्तरी किनारे पर स्थित इस मस्जिद का निर्माण भी इब्राहिम शाह शर्की ने करवाया था। यहाँ की सुंदरता देखते ही बनती हैं।
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झांझरी मस्जिद |
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