एक बार तीन भाईयों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि सर्वश्रेष्ठ दान कौन सा है? पहले ने कहा कि धन का दान ही सर्वश्रेष्ठ दान है, दूसरे ने कहा कि गौ-दान सर्वश्रेष्ठ दान है, तीसरे ने कहा कि भूमि-दान ही सर्वश्रेष्ठ दान है। निर्णय न हो पाने के कारण वे तीनों अपने पिता के पास पहुंचे।
पिता ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। उन्होंने सबसे बड़े पुत्र को धन देकर रवाना कर दिया। वह पुत्र गली में पहुंचा और एक भिखारी को वह धन दान में दे दिया। इसी तरह उन्होंने दूसरे पुत्र को गाय दी। दूसरे पुत्र ने भी उसी भिखारी को गाय दान में दे दिया। फिर तीसरा पुत्र भी उसी भिखारी को भूमि दान देकर लौट आया।
कुछ दिनों बाद पिता अपने तीनों पुत्रों के साथ उसी गली में टहल रहे थे, जहां वह भिखारी प्रायः मिलता था। उन तीनो को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वह अब भी भीख मांग रहा था। उस भिखारी ने गाय और भूमि बेचने के पश्चात प्राप्त हुआ पूरा पैसा मौजमस्ती में उड़ा दिया था। अब पिता ने अपने पुत्रों को समझाया, “वही दान सर्वश्रेष्ठ दान है, जिसका सदुपयोग किया जा सके अर्थात ज्ञानदान ही सर्वश्रेष्ठ दान है।”
ऊं तत्सत...
पिता ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। उन्होंने सबसे बड़े पुत्र को धन देकर रवाना कर दिया। वह पुत्र गली में पहुंचा और एक भिखारी को वह धन दान में दे दिया। इसी तरह उन्होंने दूसरे पुत्र को गाय दी। दूसरे पुत्र ने भी उसी भिखारी को गाय दान में दे दिया। फिर तीसरा पुत्र भी उसी भिखारी को भूमि दान देकर लौट आया।
कुछ दिनों बाद पिता अपने तीनों पुत्रों के साथ उसी गली में टहल रहे थे, जहां वह भिखारी प्रायः मिलता था। उन तीनो को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वह अब भी भीख मांग रहा था। उस भिखारी ने गाय और भूमि बेचने के पश्चात प्राप्त हुआ पूरा पैसा मौजमस्ती में उड़ा दिया था। अब पिता ने अपने पुत्रों को समझाया, “वही दान सर्वश्रेष्ठ दान है, जिसका सदुपयोग किया जा सके अर्थात ज्ञानदान ही सर्वश्रेष्ठ दान है।”
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