चेतना की गहनतम उपस्थिति परमात्मा है/ओशो - Kashi Patrika

चेतना की गहनतम उपस्थिति परमात्मा है/ओशो


मैं नहीं देखता कि कहीं कोई परमात्मा है जिसने दुनिया को बनाया। मैं निश्चित ही अस्तित्व में भगवत्ता का गुण महसूस करता हूं, लेकिन यह गुण है, न कि व्यक्ति। यह प्रेम जैसा अधिक है, मौन जैसा, आनंद जैसा--व्यक्ति जैसा कम। तुम कभी किसी परमात्मा से नहीं मिल पाओगे उसे 'हलो' नहीं कह पाओगे, 'आप कैसे हैं' नहीं कह पाओगे कि 'मैं आपके लिए हजारों सालों से इंतजार कर रहा था; आप अब तक कहां छिपे हुए थे?'

परमात्मा व्यक्ति नहीं है बल्कि उपस्थिति मात्र है। और जब मैं "उपस्थिति' कहता हूं, बहुत सजग होओ क्योंकि तुम अपने संस्कारों के अनुसार सुन सकते हो। तुम "उपस्थिति' को भी कुछ पदार्थ बना दोगे--तुम फिर उसी फंदे में गिर जाओगे। तुम्हारी चेतना की गहनतम उपस्थिति परमात्मा है : यह तुम्हारी अपनी उपस्थिति है। यह किसी दूसरे से मिलना नहीं है।

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