बनारस का फ़िल्मी सफर - एक रिपोर्ट - Kashi Patrika

बनारस का फ़िल्मी सफर - एक रिपोर्ट

बनारस अपनी कच्ची-पक्की गलियों, घाटों, और अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए सदैव से फ़िल्मी दुनियां के लिए कौतुहल का विषय रहा है। अनेक निर्देशकों ने बड़े पर्दे पर इसे अलग- अलग रूपों में दर्शाया है। आज हम इस अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से बनारस के बड़े परदे का सफर जानेंगे..
  
  १९३१ में काशी पर फ़िल्माई गई एक डॉक्यूमेंटरी 

माँ गंगा के पावन तट पर अब तक अनेकों संतों ने अपना डेरा जमाया और समाधी लगाकर जीवन क अनेकों उलझे सवालों का निपटारा किया हैं। अनेकों संगीतज्ञो ने यहाँ अपनी साधना पूरी की है और विश्व भर से हर कोई इस शहर की और देखते आए है। फ़िल्मी दुनियां के निर्देशकों को भी इसकी कहानी अपने और खींच लाती है।    

१९३७ में काशी पर फ़िल्माई दूसरी डॉक्यूमेंटरी 

 कुछ चुनिंदा फ़िल्में जिनमे काशी को फ़िल्माया गया हैं : 

सबसे पहले मशहूर निर्माता निर्देशक सत्यजीत रे ने सन १९५० में काशी को अपनी फिल्म अपराजितो में फिल्माया हैं। इस फिल्म की पटकथा पाथेर पांचाली उपन्यास पर आधारित है यह फ़िल्म उनके द्वारा निर्देशित इस उपन्यास पर आधारित तीन फ़िल्मों में से एक हैं। 

इसके बहुत समय तक बनारस में एक्का दुक्का फ़िल्मों की शूटिंग तो हुई पर बड़े पर्दे पर इसको वह स्थान नहीं मिला जिसकी यह अधिकारी थी।

सन १९९६ में राजकुमार संतोषी ने यहाँ फिल्म घातक की शूटिंग की। इस फ़िल्म में राजकुमार संतोषी ने सनी देओल, मीनाक्षी सोसादरी और डैनी को फ़िल्माया हैं।

इसके बाद तो कुछ समय के पश्चात् बनारस बड़े पर्दे की सबसे पसंदीदा जगह बन गया। बस इतना सा ख़्वाब हैं, चोखेर बाली, बनारस, राम तेरी गंगा मैली, दीपा मेहता की वॉटर जैसी अनगिनत फ़िल्मों की शूटिंग यहाँ की गई। 

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