येदियुरप्पा बने “संकटमोचक” - Kashi Patrika

येदियुरप्पा बने “संकटमोचक”


कर्नाटक में भाजपा के “संकटमोचक" बन कर उभरे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मतगणना से पहले ही घोषणा कर दी थी कि वो ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे। उनका वादा सच होता दिख रहा है।
2013 में भारतीय जनता पार्टी को लगा था कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है और खनन घोटाले के आरोपों में घिरे बीएस येदियुरप्पा को हटाकर जगदीश शेट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था। नाराज येदियुरप्पा ने 'कर्नाटक जन पक्ष' नाम से एक अलग संगठन खड़ा कर लिया और 2013 में हुए विधानसभा के चुनावों में उन्होंने भाजपा के लिए ऐसा रोड़ा खड़ा कर दिया कि बॉल कांग्रेस के पाले में चली गई। इस बार अमित शाह की पहल पर येदियुरप्पा की 'घरवापसी' हुई। उन्हें पहले संगठन की केंद्रीय कमेटी में नहीँ रखा गया, बल्कि पार्टी के अंदर के विरोधों को दरकिनार कर प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सौंप दिया गया।
प्रदेश में पार्टी के प्रवक्ता बामन आचार्य इतिहास का दावा था कि पूरे दक्षिण भारत में बीएस येदियुरप्पा ही भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर संगठन को खड़ा किया था। और रुझानों को मानें तो येदियुरप्पा ने ऐसा कर दिखाया है।
विधानसभा के चुनावों की घोषणा के साथ ही येदियुरप्पा ने पूरे प्रदेश में प्रचार की कमान संभाल ली और येदियुरप्पा के नेतृत्व को पार्टी के आलाकमान का पूर्ण समर्थन और विश्वास प्राप्त था। लिंगायत समुदाय के वोट का दम भर येदियुरप्पा कर्नाटक की राजनीति में मजबूती से उभरे। हालांकि कांग्रेस ने  लिंगायतों में वीरशैव पंथ को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की सिफारिश करके  येदियुरप्पा को झटका देने की कोशिश की, क्योंकि येदियुरप्पा वीरशैव पंथ से आते हैं। कांग्रेस की ओर से अल्पसंख्यक का दर्जा जगतगुरु बसवन्ना के वचनों पर चलने वाले लिंगायतों को दिए जाने की सिफारिश की गई।
विश्लेषकों को लगता था कि कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले ये तुरुप की चाल चली थी, जिसने येदियुरप्पा और भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। लेकिन येदियुरप्पा ने ये साबित कर दिया कि उनकी 75 पार की उम्र मार्गदर्शक मंडल में जाने की नहीं हुई है और नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक की राजनीति को समझते हुए येदियुरप्पा जो भरोसा जताया वह सही फैसला जान पड़ता है। रुझानों को देखते हुए येदियुरप्पा भाजपा के संकटमोचक बन कर उभरते दिख रहे हैं।  

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