काशी सत्संग: ईश्वर बड़ा दयालु है - Kashi Patrika

काशी सत्संग: ईश्वर बड़ा दयालु है

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था, उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बाग की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था। वह किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था। एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरूद, अनार और अंगूर पककर तैयार हैं। किसान सोचने लगा आज कौन सा फल महाराज को अर्पित करूं, फिर उसे लगा अंगूर करने चाहिये क्योंकि वो तैयार हैं इसलिये उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा!
किसान राजमहल में पहुचा, राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़ी दूर बैठ गया, अब राजा उसी खयालों-खयालों में टोकरी में से अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता।
राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर  पर लगता था तो किसान कहता था, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’ राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था किसान फिर वही कहता था ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’। थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ की वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है वो संभलकर बैठा, उसने किसान से कहा, मैं तुम्हें बार-बार अंगूर मार रहा हूं और फिर भी तुम बार-बार क्यों कह रहे हो की ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’।
किसान नम्रता से बोला, महाराज, बागान में आज नारियल, अनार और अमरुद भी तैयार थे पर मुझे भान हुआ क्यों न आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। लाने को मैं अमरूद और अनार भी ला सकता था पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, अनार या बड़े बड़े अमरूद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता? इसीलिए मैं कह रहा हूं कि  ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’।

इस प्रकार ईश्वर हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का करके हमें उससे उबार लेते हैं, लेकिन हम उनकी कृपा को अनदेखा कर देते हैं।
ऊं तत्सत... 

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