बेबाक हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक हस्तक्षेप

बदलते सामाजिक परिवेश में आज हम जिस मुकाम पर खड़े है वहां आने वाले समय में भारत को बड़े पैमाने पर अपनी उपलब्धियों से कहीं आगे बढ़ने की आवश्यकता पड़ने वाली हैं। शिक्षा का जो हाल देश में है वो किसी के गले नहीं उतर रहा है अनट्रेनड कामगारों की एक बड़ी फौज आज देश के लिए चिंता का विषय बना हुआ हैं। उद्योगों का बड़े पैमाने पर विस्तार न होना आज सरकार की समस्याओं को बढ़ाने वाला हैं जो हो सकता है आने वाले केंद्रीय चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरे। इन सब के बीच देश में स्वास्थ सेवाओं पर सबकी नजर बनी हुई हैं।

भारत विश्व में तीसरा एड्स से सबसे बड़ा प्रभावित क्षेत्र हैं। प्राथमिक उपचार के मामले में देश अपने आस-पास के कम विकसित देशों से कई गुना पीछे हैं। सरकार के प्रयासों के वाबजूद बढ़ती जनसंख्या को स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध होना टेढ़ी खीर साबित हो रहा हैं। जहाँ एक ओर सरकार नए एम्स का उद्घाटन करने में लगी हुई है वही बड़े पैमाने पर गावों से लेकर शहरों तक स्वास्थ सेवाओं को दुरुस्त करने की आवश्यकता आजादी के इतने सालों बाद अब भी बनी हुई हैं।

एक और बात गौर करने वाली है जो सरकार की नाकामी जाहिर करती है वो स्वास्थ सेवाओं का हर समय महंगा होना। आज हमें पहले के मुकाबले छोटे छोटे उपचारों के लिए भी १० साल में पहले के मुकाबले तिगुना दाम देना पर रहा हैं। क़्वालीफाईड डाक्टरों की कमी स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा देती हैं।

इन सब के बीच सरकार द्वारा स्वास्थ क्षेत्र में बढ़ाए कदम स्वागत योग्य हैं पर इन क़दमों का समय पर फलीभूत होना अनिवार्य है वर्ना विकास के मीटर पर आगे बढ़ते देश पर स्वास्थ सेवाएं एक बदनुमा काले धब्बे सा प्रतीत होगा।

- संपादकीय 

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