दुख है, क्योंकि तुम सजग नहीं हो/ओशो - Kashi Patrika

दुख है, क्योंकि तुम सजग नहीं हो/ओशो

दुख बस तुम्हारे आसपास है, केंद्र में नहीं। जब तुम इस सत्य को जान जाओगे, पूरे अंतरतम में आनंद फैल जाता है...

यदि तुम बचने की कोशिश न करो, यदि तुम दुख को प्रकट होने दो, यदि तुम उससे आमना-सामना करने को तैयार हो, यदि तुम किसी तरह से उसे भूल जाने का प्रयास नहीं कर रहे हो, तब तुम अलग ही व्यक्ति हो। दुख तो है, पर बस तुम्हारे आसपास; यह केंद्र में नहीं है, वह परिधि पर है। दुख के लिए केंद्र पर होना असंभव है; यह चीजों की प्रकृति में नहीं है। यह हमेशा परिधि पर होता है और तुम केंद्र पर हो।

तो जब तुम उसे होने देते हो, तुम बचते नहीं, तुम भागते नहीं, तुम भयभीत नहीं होते, अचानक तुम इस बात के प्रति सजग होते हो कि दुख परिधि पर है जैसे कि कहीं और घट रहा है, न कि तुम्हारे साथ, और तुम उसे देख रहे हो। तुम्हारे पुरे अंतरतम पर एक रहस्यपूर्ण आनंद फैल जाता है क्योंकि तुमने जीवन का एक मौलिक सत्य पहचान लिया कि तुम आनंद हो, न कि दुख।

No comments:

Post a Comment