गपशप
का हो लोगन कइसन हउअ जा बाल बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाए। इहां हमनी खने जा रोज पेड़ लगावे के बारे में बतियावत हई जा उहां सरकार भी पेड़ लगावे बादे जमीन खोजत ह। बढियाँ ह हमनी जा दुनो ओर से पेड़ लगाके एदा पाड़ि ही काशी के आनन् कानन बनावल जाइ। आज हमनी जा पीपल के पेड़ लगावे और ओकरे देखभाल के विषय में बतियावल जाइ।पीपल का पेड़ धार्मिक रूप में बहुते मानल जा ला। लोगन देखले होइअ जा कि कैसे ओकर पूजां करल जा ला। पीपल का पेड़ घना होइ और ओकरे अगल बगल जगह चाही ला। बढे पर तना ले उ सीधा हो जाए। पीपल का पेड़ उचाई में १८ से ३० फीट ले ऊंचा होइ। छायल पेड़ आठो पहर आक्सीजन दे ला। एकर पट्टी चौड़ा होइ और डंठल से जुड़ल रही। एके जियावे में खटकर्म बा। सीधा करे बदे एमे लकड़ी बांधल जा ला। ज्यादा बड़ा होव पे एकर छटाई कराल जा ला।
पीपर पे एगो कविता भी बाटे जान लेवा जा लोगन :
पीपल का पेड़ / श्यामसुंदर श्रीवास्तव 'कोमल'

मेरे द्वारे बहुत पुराना,
पेड़ खड़ा है पीपल का।
मैं तो बैठ पढ़ा करता हूँ
इसकी शीतल छाँव में,
इसके जैसा पेड़ नहीं है
दूजा कोई गाँच में।
बाकी सबके सब छोटे हैं
बरगद हो या कटहल का।
पंचों की चौपाल सदा ही
लगती है इसके नीचे,
बैठ यहीं पर करते संध्या
बाबा आँखें को मीचे।
दादी रोज चढ़ाती इस पर
भरा हुआ लोटा जल का।
साँझ-सकारे इसमें आकर
पंछी शोर मचाते हैं,
चिहँक-चिहँककर फुदक-फुदककर
मीठा गीत सुनाते हैं।
तुम भी इसे देखने आना
पेड़ बड़ा है पीपल का।
बाकि मिले पे।
- बाबा सुतनखु
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