मातृ दिवस पर ख़ास - एक माँ की रिक्वेस्ट... - Kashi Patrika

मातृ दिवस पर ख़ास - एक माँ की रिक्वेस्ट...


चलिए सरोई से माँ की पसंद का हलुआ बनाते हैं..

मेरा डेढ़ साल का बेटा अब अपने भाव को व्यक्त करने में सक्षम है। उसको बहला कर काम कराना अब मुश्किल होता जा रहा है। उसको अब अपनी पसंद ना पसंद  का आभास है। खाने को देख कर भांप कर ही मुँह अपनी पसंद से खोलता है। नहीं तो बस घंटे भर बहलाते फुसलाते रहिये, खायेगा चम्मच दो चम्मच। बाहर घूमने टहलने जाना हो तो रोने का सहारा, बाहर निकलते ही हँसी छूट जाना। यानि कहने को ये के बेटे का मानव स्वभाव अब दिखने लगा है। जहाँ उसके हिसाब से हुआ तो ख़ुश वरना मुँह फुला कर बैठ जाना और जहाँ सम्भव हो हाथ मुक्का पैर चलाना। 

स्थितियों की समझ होने से उसे डर का आभास भी अब होता है। कुत्तो के तेज से भौंकने पर, बंदर का नाम सुनकर, किसी गर्गरहट को सुनने पर, डर जाता है। आज उसका डर ही इस कहानी का विषय है। एक  बालक के डर का इलाज़ क्या है, कोई दवाई तो नहीं है, वह है उसकी माँ। मेरा बेटा दौड़ कर मुझको पकड़ लेता है, गले लग जाता है औऱ देर तक गोद मे बैठा रहता है। 

अब मन में यह विचार आता है के कितनी कमज़ोर तो है एक औरत, सहारा तो उसे देते है लोग, पिता,पुत्र पति,भाई; सभी फिर जाकर उसका जीवन आगे बढ़ता रहता है। पर कैसी उलट बात है के जब ये पिता पुत्र बेटे भाई जन्म लेते है तो इनका सहारा होती है इनकी यही अबला समझी जाने वाली माँ। इनका कोमल मन पूरे विश्वाश से यही समझता है के मेरी माता ही बेड़ा पार लगाएगी। 

फ़िर जैसे ही इनके स्मृतिपटल से बचपन की यादें विस्मृत होती जाती हैं ये बडे कहलाते है और मां,पत्नी, बहन;दूसरे पायदान पर आ जातीं है। 

हमारे देश में सभी यही कहते है ,' माता के ऋण से उऋण कभी नहीं हो सकते।' पर समझ कितनों में है इस बात की पता नहीं।

आज अंतर्राष्ट्रीय मातृ-दिवस है , चलिए खूब सेवा करें अपने माता की, एक भारतीय कर्तव्यों को पहले रखता है। कार्ड, फ्लावर से माँ का क्या होना है, उसके साथ रसोई साझा करिए। आप का तो भविष्य है और आप माँ के भविष्य, वर्तमान, और उसका सुनहरा अतीत है। चलिये अपनी माँ से गप्पे लड़ाए, उसकी वही पुरानी बातें, नसीहते, पुराना अंदाज़ ही उसकी पहचान है। उनको कार्ड, फ्लावर और चॉकलेट से सरप्राइज करना एक शार्ट-कर्ट लेनी वाली बात होगी। माँ ने आपको अपना भी समय दिया है, थोड़े में आप इतने बड़े, समझदार औऱ होनहार नहीं बन गए ।

चलिए सरोई से पसंद का हलुआ बनाते हैं। माँ को आप सीख गई है खाना पकाना यह देख कर जो तसल्ली होगी वह आँखों से चमकदार मोती बन कर छलक जाएंगे। बेटा होगा तो मोती की छड़ी लगा देगा माँ का हृदय। 

 
भगवान श्री राम, माता की इच्छा थी तो चौदह वर्षों के लिए वनवासी हो गए। कितना स्पष्ट हैं हमारे धर्मग्रंथ में माँ का मान।



आख़िर में सभी माँओं को Mother's day की बहुत-बहुत शुभकामना। आप की क्षत्र छाया में परिवार उन्नत होए।

शुभरात्रि

अदिति

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