मृत्यु तुम्हें जगाती है/ओशो - Kashi Patrika

मृत्यु तुम्हें जगाती है/ओशो


मौत बड़ी उदबोधक है। वह तुम्हें चौंकाती है--जगाती है। तुम्हारी अनस्थेसिया से--तुम्हारी गहरी बेहोशी से, तुम्हें बाहर ले आती है। इसलिए ज्ञानियों ने मौत को सदगुरु कहा है। अगर मृत्यु न होती, तो तुम कभी शायद जागते ही नहीं। इसलिए ज्ञानियों ने कहा है कि "अगर मृत्यु न होगी, तो दुनिया में कोई आदमी धार्मिक न होगा।" ठीक कहा है। क्योंकि जिंदगी में तो तुम सोये ही रहते हो। और सोने की तरकीब सीधी है--कल की आशा। फिर तुम कुछ भी झेल लेते हो। फिर कोई भी कष्ट बड़ा नहीं है।

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