कर्नाटक चुनाव आते ही फिर से वही पार्टियों की उठा- पटक और दोषारोपण, कटाक्ष हम-आप सुन रहे है।
हर पार्टी अपने स्टार प्रचारक को कर्नाटक भेज रही है। राजनीति में अभी कर्नाटक ही सबसे बड़ा तीर्थ बना हुआ है, जिसके चक्क लगाने से ही पार्टी की नैय्या पार होगी।
इसी बीच सोनिया जी ने भी अपना दो साल का उपवास थोड़ा है और कर्नाटक के चुनाव में अपनी पार्टी का प्रचार करने आख़िर पहुँच ही गयी । मंच से वर्तमान प्रधान मंत्री को अनगिनत बार कटघडे में खड़ा किया और उनको एक विफ़ल प्रधानमंत्री घोषित कर दिया।
कांग्रेस वो ही पार्टी है जो लगातार दो अवधि से प्रधानमंत्री दे रही है, जो आज़ादी दिलाने का श्रेय लेते नहीं चूकती आज ठीक तरह से विपक्ष भी नहीं कही जा सकती। 2014 के लोग सभा चुनाव में मात्र 40 सीटों पर ही सिमट गई। क्या कांग्रेस का यही दुर्भाग्य रहा के इतनी बड़ी पार्टी को एक परिवार के अधीन हो कर रहना पड़ा और अब राहुल गांधी के 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में स्वमं को बेझिझक प्रधानमंत्री का दावेदार बता देना इस बात पर मुहर ही लगाता है के आज़ादी दिलाने वाली कांग्रेस पार्टी आज स्वमं गांधी परिवार के अधीन सांसे ले रही है।
फिलहाल कर्नाटक सभी दलों के मान का विषय बनी हुई है बीजेपी के स्टार प्रचार हो चाहे कांग्रेस के, सब कर्नाटक में अपनी हाज़री लगा चुके है और रैली समाप्त कर चुके हैं। जो भी पार्टी जीतती है 2019 के लिए शुभारंभ ही माना जायेगा। कर्नाटक में चुनाव 12 मई को होगा।
-अदिति-
-अदिति-
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