जो कुछ तेरे नाम लिखा है, लिक्खा दाने-दाने में
वह तो तुझे मिलेगा, चाहे रक्खा हो तहखाने में।
तूने इक फरियाद लगाई उसने हफ्ता भर माँगा
कितने हफ्ते और लगेंगे उस हफ्ते के आने में।
एक दिए की जिद है आँधी में भी जलते रहने की
हमदर्दी हो तो फिर हिस्सेदारी करो बचाने में।
आँसू आए देख टूटता छप्पर दीवारो-दर को
आखिर घर था, बरसों लग जाते हैं उसे बनाने में।
कुछ तो सोचो रोज वहीं क्यों जाकर मरना होता है
शाम की कुछ तो साजिश होगी सूरज तुम्हें दबाने में।
जाकर तूफानों से कह दो जितना चाहें तेज चलें
कश्ती को अभ्यास हो गया लहरों से लड़ जाने में।
कौन मुहब्बत के चक्कर में पड़े बुरी शै है यारो!
मेरे दोस्त पड़े थे, सदियों मारे फिर जमाने में।।
वह तो तुझे मिलेगा, चाहे रक्खा हो तहखाने में।
तूने इक फरियाद लगाई उसने हफ्ता भर माँगा
कितने हफ्ते और लगेंगे उस हफ्ते के आने में।
एक दिए की जिद है आँधी में भी जलते रहने की
हमदर्दी हो तो फिर हिस्सेदारी करो बचाने में।
आँसू आए देख टूटता छप्पर दीवारो-दर को
आखिर घर था, बरसों लग जाते हैं उसे बनाने में।
कुछ तो सोचो रोज वहीं क्यों जाकर मरना होता है
शाम की कुछ तो साजिश होगी सूरज तुम्हें दबाने में।
जाकर तूफानों से कह दो जितना चाहें तेज चलें
कश्ती को अभ्यास हो गया लहरों से लड़ जाने में।
कौन मुहब्बत के चक्कर में पड़े बुरी शै है यारो!
मेरे दोस्त पड़े थे, सदियों मारे फिर जमाने में।।
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