'कैराना किसका' : अभी कैराना है पार्टियों की धड़कन, जाने कैराना का संगीतमय कल - Kashi Patrika

'कैराना किसका' : अभी कैराना है पार्टियों की धड़कन, जाने कैराना का संगीतमय कल


कर्ण की जन्मभूमि है कैराना: ऐसा मानना है के कैराना जो के अंगराज नाम से जाना जाता था, दुर्योधन ने भेंट में अपने मित्र कर्ण को दिया था।कर्ण का जन्म भी संभवतः कैराना में ही हुआ था। 


जहाँगीर के तुज़ुक-ए-जहांगीरी में भी कैराना का ज़िक्र हुआ है। जहाँगीर का बचपन कैराना में बीता था। मुगलकाल में यह एक उन्नत शहर था।

कला संगीत में भी कैराना का अपना विशेष स्थान है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के मशहूर किराना घराना के लिए जाना जाता था। जिसकी स्थापना महान शास्त्रीय गायक अब्दुल करीम खां ने की थी।

मन्ना डे ने एक बार कैराना में थे तब उन्होंने यह कह कर अपने जूते हाथ में उठा लिए के कैराना महान संगीतकारो की भूमि है सो वह सम्मानस्वरूप जूते पहन कर नहीं चल सकते। भीमसेन जोशी भी मालूम हो के कैराना घराने से ही थे।

कैराना उपचुनाव: कैराना समेत लोकसभा की 4 और विधानसभा की 10 सीटों पर वोटिंग शुरू। इन सभी सीटों के नतीजे 31 मई को घोषित किए जाएंगे। 
कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी का मुकाबला संयुक्त विपक्ष से है। बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद इस सीट पर चुनाव कराना आवश्यक हो गया था। उनकी बेटी मृगांका सिंह उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हैं। उनका सीधा मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन से है। तबस्सुम हसन को सपा, बसपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, भीम आर्मी और कई अन्य छोटे दलों का भी समर्थन प्राप्त है. दो महिलाएं बड़े राजनीति घराने से हैं। मृगांका सिंह के पिता हुकुम सिंह कैराना विधानसभा सीट से सात बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में मृगांका सिंह को उन्होंने कैराना विधानसभा सीट से टिकट दिलवाया लेकिन राज्य में मृगांका सिंह चुनाव जीत नहीं सकीं। तबस्सुम हसन के परिवार की तो तीसरी पीढ़ी भी अब राजनीति में आ चुकी है. उनके ससुर चौधरी अख़्तर हसन सांसद रह चुके हैं जबकि पति मुनव्वर हसन कैराना से दो बार विधायक, दो बार सांसद, एक बार राज्यसभा और एक बार विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं.


मतदाता: सबसे ज़्यादा क़रीब साढ़े पांच लाख मतदाता मुस्लिम हैं जिनमें मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम जाट भी शामिल हैं. क़रीब तीन लाख की आबादी हिन्दू जाटों और गुर्जरों की है जबकि ढाई लाख दलित मतदाता हैं.

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बता दे के कैराना पिछले साल विवादों में आया जब हुकुम सिंह ने ही हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया।ऐसा कहा गया के मुस्लिम बहुल इलाका होने से हिंदुओं को मजबूरन ही कैराना छोड़ना पड़ा रहा है। अब यह राजनीतिक एजेंडा था या फ़िर सच यह निर्णय कैराना के लोग ही कर सकते है। 


यह उपचुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा बनाम महागठबंधन की भिड़ंत की ओर संकेत करेगा। देखना दिलचस्प रहेगा के निर्णय किसके पक्ष में जन्ताजनार्दन करती है। 


अदिति


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