बाबा सुतनखु का खत - Kashi Patrika

बाबा सुतनखु का खत

गपशप 


का हो लोगन कइसन हउअ जा बाल-बच्चा सब मस्ती में और सुनावल जाए। अबहीं ले हमनी कदम्ब, नीम अउर पारिजात के पेड़ लगावें के बारे में सोचली जा। आज हमनी शमी के पेड़ लगावे के बारे में बतियावल जाइ। एदा पारी बरसात में हमनी काशी के पुरनिया आनन् कानन बना देवल जइ। शमी का पेड़ ऊंचाई में १० -१२ फीट से ज्यादा ऊचां नाही होला। एकर धार्मिक महत्त्व भी काफी ह मानल जा ला की एकरे लगैले सब दोष कट जा ला। शमी का फूल भी बहुते सोहर होला हल्का गुलाबी फूल देखले मन अत्यंत प्रफुल्लित होइ। 

हमनी एके साफ़ सुथरा जमीं में लगावल जाइ और हो सके ता धार्मिक महत्व के हिसाब गंगा माई में नहा धो  लगावल जाइ।

राजस्थानी भाषा में एपर एगो कविता भी बा -

मींझर (कविता) / कन्हैया लाल सेठिया

सौनेली मींझर लड़ालूम
रस पीवै भंवरा झूमझूम
सौनेली मींझर लड़ालूम।
सै मन मिलणै री बातां है
कुण कीं रै हाथां बाथां है ?
बा अलगोजै री गूंज उठी
सुण बिछड्यां हियां अमूझ उठी,
आंख्यां में सुपनां नाच गया
कर छननछून कर छननछून,
सौनेली मींझर लड़ालूम
सौनेली मींझर लड़ालूम।
दिन मधरा, मदवी रातां है
अै सुख बैरी री घातां है,
मन मौजां में तण उणमादी
नैणां ने दारू कुण प्यादी ?
कंठा रै मीठैे गीतां री
आभै में माची धमकधूम,
सौनेली मींझर लड़ालूम
सौनेली मींझर लड़ालूम।
फुलड़ां री झिलमिल पांतां है,
ज्यों रंगा भरी परातां है,
धरती रो रूप सुआ पंखी
तीतर री टोळ्यां उड़ किलखी,
बो बवै बायरो मद झीणो
धोरां रा गोरा गाल चूम,
सौनेली मींझर लड़ालूम
सौनेली मींझर लड़ालूम।

बाकि मिले पे।

- बाबा सुतनखु 

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