काशी सत्संग: विश्वास - Kashi Patrika

काशी सत्संग: विश्वास


एक अत्यंत गरीब महिला थी, जिसे ईश्वर और उनकी शक्ति पर पूरा भरोसा था। एक बार वह और उसका परिवार अत्यंत ही विकट स्थिति में आ गया। कई दिनों तक पूरे परिवार को खाने के लिए कुछ नहीं मिला। भूख से लाचार महिला ने एक दिन रेडियो के माध्यम से ईश्वर को अपना सन्देश भेजा कि वह उसकी मदद करें।
यह प्रसारण एक नास्तिक, घमण्डी और अहंकारी उद्योगपति ने सुना और उसने सोचा कि क्यों न इस महिला के साथ कुछ ऐसा मजाक किया जाये कि उसकी ईश्वर के प्रति आस्था डिग जाए। उसने आपने सेक्रेटरी को कहा कि वह ढेर सारा खाना और महीने भर का राशन महिला के घर पहुंचा आए। जब वह महिला पूछे कि यह सब किसने भेजा है, तो कह देना "शैतान" ने भेजा है। सेक्रेटरी ने ऐसा ही किया। खाने-पीने का बहुत सा सामान और महीने भर का राशन लेकर महिला के घर पहुंचा।
जैसे ही महिला के पास सामान पंहुचा पहले तो उसने सपरिवार तृप्त होकर भोजन किया। किंतु, महिला ने एक बार भी सेक्रेटरी से यह नहीं पूछा कि सामान किसने भेजा है। वह इन्तजार करता रहा कि महिला अब सामान के बारे में पूछेगी। अंततः जब महिला सारा राशन अलमारी में रखने लगी, तब सेक्रेटरी से रहा नहीं गया और उसने महिला से कहा, “क्या आपको जिज्ञासा नहीं होती कि यह सब सामान किसने भेजा है।” उस महिला ने बेहतरीन जवाब दिया, मैं इतना क्यों सोंचू या पूछू मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है। मेरे भगवान जब आदेश देते हैं, तो शैतानों को भी उस आदेश का पालन करना पड़ता है। ईश्वर को अपना जनक मान उस पर विश्वास करना चाहिये और प्रार्थना में वह शक्ति और बुद्धि मांगनी चाहिए, जिससे यह विश्वास निरंतर दृढ़ होता रहे। बस तब हम सरलता पूर्वक जीवन की हर कठिनाई को पार कर जाएंगे।
ऊं तत्सत...

No comments:

Post a Comment