रविवार संपन्न हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि भविष्य के चुनावों को देखते हुए राहुल गाँधी को ये अधिकार दिए जाए कि आगामी चुनावों में वो फैसला ले सकें कि किन राजनैतिक पार्टियों से गठबंधन करना हैं। पांच घंटे चली इस लम्बी बैठक में सोनिया गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे।
बैठक संपन्न होने के बात पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गाँधी ने बताया कि इस बैठक में 35 से ज्यादा वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए और आगामी राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और निकट भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनावों के विषय में चर्चा हुई और रोड मैप बनाया गया। राहुल गाँधी ने बताया कि इस बैठक में सरकार के खिलाफ देश स्तर पर अभियान चलाया जाएगा जिसमे मुख्य मुद्दे होंगे किसानों की खस्ता हालत, बेरोजगारी, स्लो होती अर्थव्यवस्था, और दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अपराध।
बिना किसी का नाम लिए बगैर; राहुल गाँधी ने पार्टी के भीतर से आने वाले अनर्गल बयानों पर रोक लगाने का प्रयास करते हुए कहाँ कि पार्टी में सभी अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं पर चुनावों के बीच पार्टी को नुक्सान पहुंचने वाले बयानों से पार्टी कार्यकर्ताओं को बचना होगा।
बहुत से कोंग्रेसी नेताओं के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री आर पी एन सिंह ने कहा कि बीजेपी के विरोध में बनने वाले महागठबंधन का नेतृत्व राहुल गाँधी को करना चाहिए। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार की स्वघोषित सफलता और जुमलों पर आक्षेप किया और मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के बयान को नकारा। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी ने बैठक में इस बात पे चिंता जताई कि किस प्रकार वर्त्तमान सरकार लोगों के बीच घृणा और नफरत का बीज बो रही हैं। सोनिया गाँधी ने मोदी के लोकसभा में दिए बयान पर कहाँ कि मोदी हतोत्साहित हैं और सत्ता के लिए सशंकित हैं।
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने बैठक में सीवीसी को बताया कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तिगुनी सीट जीत सकती हैं और उसकी सख्याबळ 150 के पास पहुंच सकता हैं। ये सीटें मुख्यतः उन 12 राज्यों में आने की आशंका हैं जहाँ कांग्रेस सीधे-सीधे बीजेपी के खिलाफ खड़ी हैं। घटक दल लोकसभा में बहुमत के आकड़े 272 तक पहुंचने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा की जनता से किए सभी वादे पूर्ण करने के बाद भी तटीय क्षेत्रों में कांग्रेस धार्मिक धुर्वीकरण के कारण हार गई।
■सोर्स
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