बेबाक हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक हस्तक्षेप

देश की राजनीतिक दशा और दिशा तेजी से बदल रही हैं। एक ओर जहाँ एनडीए के पुराने दोस्त उसके खिलाफ मुखर होते जा रहे हैं, तो वही दूसरी ओर कांग्रेस भी विपक्षी दलों को मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा करने में कही न कही सफल दिखाई दे रही है। हालिया कुछ महीनों की राजनीतिक बयानबाजियों पर नजर डाला जाए, तो एक ओर जहाँ बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना से उसके रिश्ते नाजुक दिखाई दे रहे हैं। वहीँ, दूसरी ओर लोकसभा की सीटों को लेकर नीतीश और एनडीए में तकरार भी समय-समय पर उभरते ही रहे हैं।

टीडीपी ने तो सरकार का साथ भी छोड़ दिया और कर्नाटक चुनावों के बाद शक्ति परिक्षण में टीडीपी ने ही कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के चुने हुए विधायकों को शरण दिया था। अब जब मोदी सरकार के खिलाफ सदन में पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, तो इसकी चर्चा के दौरान विपक्ष जमकर सरकार पर हमलावर होगी यह तय है। कांग्रेस सदन के भीतर से मोदी सरकार की नीतियों पर जमकर सवाल करेगी और बहुत हद तक विपक्ष की एकता को साधने और उसे गति देने का कार्य भी करेगी। अब जब 2019 के लोकसभा चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है, तो विपक्ष की इस एकजुट ताकत का प्रदर्शन मोदी के लिए खतरे की घंटी हैं। इस बार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल मोदी से उन सभी प्रश्नों के जवाब मांगेगे, जिस पर सार्वजानिक बहस होना संभव नहीं हैं। 

मोदी सरकार के खिलाफ आया यह अविश्वास प्रस्ताव उस समय भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है, जब सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम पड़ाव पर है। और बहुत सारे ऐसे मुद्दे हैं जिनपर तत्कालीन केंद्र सरकार कही न कही विफल नजर आती है। इनमें सबसे बड़े  मुद्दे महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, बेरोजगारी, किसान, धार्मिक मतभेद, छोटे और मझोले व्यापारियों का मुद्दा हो सकता हैं। अब जब इस अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होगी, तो यह सरकार पर केवल लगाए गए आरोपों से बढ़कर होगी, क्योंकि सरकार को इस पर जबाब देना होगा। 

वैसे भी,  प्रस्ताव लोकसभा (केंद्र सरकार) या विधानसभा (राज्य सरकार) में विपक्षी पार्टी लाती है। विपक्षी पार्टी यह तब लाती है जब उसे लगता है कि सरकार के पास सदन चलाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं या सदन में सरकार विश्वास खो चुकी है। लेकिन ताजा सन्दर्भ में देखें तो, केंद्र सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है और विपक्ष भी इसे बखूबी जानता है।
कुल मिलाकर, इसी बहाने विपक्ष (खासकर कांग्रेस) अपनी भड़ास निकलने और केंद्र को कठघरे में खड़ा कर अपनी छवि चमकाने का प्रयास करेगी। बिना रोक-टोक और शोरशराबे के यह अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ही संभव था। बहुत हद तक यह मीडिया कवरेज पाने के मौके के रूप में भी देखा जा सकता है।
■ संपादकीय

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