सुबह 11 बजे से संसद में “अविश्वास प्रस्ताव” पर बहस शुरू होगी। चर्चा के बाद होने वाली वोटिंग में आंकड़े भाजपा के पास है और जीत सुनिश्चित है, फिर अहम क्या है? ये चर्चा और यह स्पष्टता की कौन किसके साथ खड़ा है, उसके अलावा राजनीतिक कद यानी किसमें कितना है दम।
अब समझने की कोशिश करें तो, राजनीति को आम जनता से कम मजबूर नहीं आँका जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि रोजगार, सड़क, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के इर्दगिर्द आम जनता की जरूरत और मजबूरियां घूमती रहती हैं, जबकि सियासत दारों की मजबूरी कुर्सी से शुरू होकर वहीँ खत्म भी होती है। शिवसेना को ही ले लीजिए मौके-बेमौके भाजपा का खुलकर विरोध करती रहती है, लेकिन “अविश्वास प्रस्ताव” के विरुद्ध उसे भाजपा पर पूरा विश्वास है। शिवसेना की ओर से चन्द्रकांत खैरे ने विप जारी कर सभी सदस्यों को शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान मौजूद रहने और सरकार का समर्थन करने को कहा है। हालांकि, सांसद आनंदराव अडसूल के अनुसार समर्थन का फैसला अंतिम समय पर उद्धव ठाकरे करेंगे। अन्नाद्रमुक ने संकेत दिया है कि वो सरकार के पक्ष में वोट करेगी। टीआरएस और बीजेडी की स्थिति अभी साफ नहीं है, लेकिन टीआरएस का झुकाव विपक्ष की ओर भी नहीं दिख रहा है। 19 सदस्यों वाली बीजेडी वोटिंग के दौरान सदन में अनुपस्थित रह सकती है।
कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य अविश्वास प्रस्ताव को जीतकर संसद में आगे की कार्यवाही सुचारू रूप से चलवाने में रणनीतिक विजय हासिल करना होगा। साथ ही वह चाहेगी कि मौजूदा मानसून सत्र में तीन तलाक जैसे कई अहम बिलों को पास करवाकर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों के मुस्लिम वोट बैंक में विभाजन की एक लंबी रेखा खींच दे। इसके अलावा सरकार एससी-एसटी समुदाय के लिए संविधान संशोधन विधेयक, हायर एजुकेशन कमीशन बिल, सरोगेसी बिल, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, पिछड़ा वर्ग आयोग बिल लाकर सामाजिक लामबंदी की कोशिश में है।
उधर, इसी बहाने विपक्ष सदन में एकजुटता दिखाने के साथ ही सरकार को एकतरफा घेरने की कोशिश करेगा। विपक्ष चाहता है कि संसद के जरिए वो न केवल मोदी सरकार के वादाखिलाफी की कहानी देशभर को बताए, बल्कि गरीबों, शोषितों और दलितों से हो रहे अन्याय और जुल्म की कहानी भी संसदीय रिकॉर्डिंग में दर्ज कराए। इसके साथ ही कांग्रेस चाहती है कि इतिहास के पन्नों में मोदी सरकार भी अन्य गैर कांग्रेसी सरकारों की श्रेणी में शामिल हो जाए, जिसे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा हो। कांग्रेस की ओर से सदन में राहुल गांधी बोल सकते हैं, जबकि जवाब सबसे अंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देंगे।
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अब समझने की कोशिश करें तो, राजनीति को आम जनता से कम मजबूर नहीं आँका जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि रोजगार, सड़क, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के इर्दगिर्द आम जनता की जरूरत और मजबूरियां घूमती रहती हैं, जबकि सियासत दारों की मजबूरी कुर्सी से शुरू होकर वहीँ खत्म भी होती है। शिवसेना को ही ले लीजिए मौके-बेमौके भाजपा का खुलकर विरोध करती रहती है, लेकिन “अविश्वास प्रस्ताव” के विरुद्ध उसे भाजपा पर पूरा विश्वास है। शिवसेना की ओर से चन्द्रकांत खैरे ने विप जारी कर सभी सदस्यों को शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान मौजूद रहने और सरकार का समर्थन करने को कहा है। हालांकि, सांसद आनंदराव अडसूल के अनुसार समर्थन का फैसला अंतिम समय पर उद्धव ठाकरे करेंगे। अन्नाद्रमुक ने संकेत दिया है कि वो सरकार के पक्ष में वोट करेगी। टीआरएस और बीजेडी की स्थिति अभी साफ नहीं है, लेकिन टीआरएस का झुकाव विपक्ष की ओर भी नहीं दिख रहा है। 19 सदस्यों वाली बीजेडी वोटिंग के दौरान सदन में अनुपस्थित रह सकती है।
कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य अविश्वास प्रस्ताव को जीतकर संसद में आगे की कार्यवाही सुचारू रूप से चलवाने में रणनीतिक विजय हासिल करना होगा। साथ ही वह चाहेगी कि मौजूदा मानसून सत्र में तीन तलाक जैसे कई अहम बिलों को पास करवाकर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों के मुस्लिम वोट बैंक में विभाजन की एक लंबी रेखा खींच दे। इसके अलावा सरकार एससी-एसटी समुदाय के लिए संविधान संशोधन विधेयक, हायर एजुकेशन कमीशन बिल, सरोगेसी बिल, नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, पिछड़ा वर्ग आयोग बिल लाकर सामाजिक लामबंदी की कोशिश में है।
उधर, इसी बहाने विपक्ष सदन में एकजुटता दिखाने के साथ ही सरकार को एकतरफा घेरने की कोशिश करेगा। विपक्ष चाहता है कि संसद के जरिए वो न केवल मोदी सरकार के वादाखिलाफी की कहानी देशभर को बताए, बल्कि गरीबों, शोषितों और दलितों से हो रहे अन्याय और जुल्म की कहानी भी संसदीय रिकॉर्डिंग में दर्ज कराए। इसके साथ ही कांग्रेस चाहती है कि इतिहास के पन्नों में मोदी सरकार भी अन्य गैर कांग्रेसी सरकारों की श्रेणी में शामिल हो जाए, जिसे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा हो। कांग्रेस की ओर से सदन में राहुल गांधी बोल सकते हैं, जबकि जवाब सबसे अंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देंगे।
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