जाऊंगा कहां... - Kashi Patrika

जाऊंगा कहां...


जाऊंगा कहां
जाऊंगा कहां
रहूंगा यहीं

किसी किवाड़ पर
हाथ के निशान की तरह
पड़ा रहूंगा

किसी पुराने ताखे
या सन्दूक की गंध में
छिपा रहूंगा मैं

दबा रहूंगा किसी रजिस्टर में
अपने स्थायी पते के
अक्षरों के नीचे

या बन सका
तो ऊंची ढलानों पर
नमक ढोते खच्चरों की
घंटी बन जाऊंगा

या फिर मांझी के पुल की
कोई कील

जाऊंगा कहां

देखना
रहेगा सब जस का तस
सिर्फ मेरी दिनचर्या बादल जाएगी

सांझ को जब लौटेंगे पक्षी
लौट आऊंगा मैं भी

सुबह जब उड़ेंगे
उड़ जाऊंगा उनके संग…
■ केदारनाथ सिंह

No comments:

Post a Comment