हफ्ते भर की खबरों का लेखाजोखा॥
आम जन के चश्मे से देखे, इस हफ्ते कुछ खबरों ने देश को हिलाए रखा, इनमें किसी ने मानवीय संवेदना को झंकझोर दिया, तो कुछ राजनीतिक फायदे के लिए रची गई पटकथा सी प्रतीत हुई। बारिश की बूंदों के लिए तरस रहा यूपी अब पानी में डूब-उतर रहा है। बारिश से देश के कई हिस्सों में हालात बदतर हैं। इन सबके बीच, आगामी लोकसभा को साधने की कोशिश में सियासतदारों की कसरत जारी रही। दो भारतीयों को मैगसायसाय पुरस्कार के लिए चुने जाने की खबर ने देश का मान बढ़ाया।
बच्चियों के लिए “नर्क” बनता समाज
बिहार के मुजफ्फरपुर में अनाथ बच्चियों को शरण देने वाला “बलिका गृह” ही उनके लिए यातनाओं का बसेरा बनकर रह गया। वहीं, दिल्ली के मंडावली में तीन बच्चियां काल की ग्रास बन गईं। हालांकि, गुत्थी उलझी है कि भूख मासूमों को निगल गई या पिता ने ही उनकी जान ले ली! सच चाहे जो हो, लेकिन ये दोनों घटनाएं और हाल में घटी ऐसी ही कई घटनाएं समाज की जो तस्वीर हमारे सामने उजागर करती हैं, उसमें यही दिखता है कि समाज बच्चियों के लिए नर्क बनता जा रहा है। उनके सपनों को बेंचने-नोंचने-मारने के लिए पग-पग पर दरिंदें खड़े हैं।
यकीन नहीं आता तो, बिहार की रिपोर्ट को समझने की कोशिश करें, जिसे लेकर अब बिहार विधानसभा में हंगामा हो रहा है और सीबीआई जाँच का आदेश दिया गया है, वह रिपोर्ट 15 मार्च को ही समाज कल्याण विभाग को भेज दी गई थी। मुजफ्फरपुर स्थित इस बालिका गृह की खबर को जितना पढ़ने-समझने की कोशिश करेंगे, मानवता उतनी शर्मसार होगी। संक्षेप में इतना कि यहां से शिफ्ट की गईं 46 बच्चियों में से 42 बच्चियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया, जिनमें से 29 के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है। कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं, लेकिन न्याय कोसो दूर है।
यह ‛बालिका गृह’ शहर के ही ताकतवर व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर के नाम है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ब्रजेश ठाकुर का घर भी उसी परिसर में है। उनके घर का प्रवेश द्वार और बालिका गृह का प्रवेश द्वार ठीक आमने-सामने है। 31 अक्टूबर, 2013 से चल रहे इस बालिका गृह को हर साल करीब 40 लाख रुपए का फंड भी मिलता रहा है।
वहीँ, दिल्ली के मामले में पहले ये बात सामने आई कि बच्चियों की मौत भूख से हुई। मीडिया के हवाले से डॉक्टरों ने भी इस पर मुहर लगाई। अब शक के घेरे में पिता है, जो फिलहाल फरार है। मौत चाहे भूख से हउइ
हुई हो या पिता हत्यारा हो, सच तो यही है बच्चियां आसपास हों या आशियाने में कहीँ सुरक्षित नहीं। भूख नहीं भी लीलती तो कोई न कोई घात लगाए बैठा है!!
आत्ममुग्ध भीड़, दम तोड़ता लोकतंत्र
सुप्रीम कोर्ट भले बार-बार भारत में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं पर चिंता जता रहा हो। विदेशी मीडिया में ऐसे लेकर भारत की छवि खराब हो रही हो, लेकिन सरकार सुस्त चाल से हल निकाल रही है। वहीँ, मंत्री-संत्री इसे लेकर समय-असमय मनमाना बयान दे रहे हैं। और इन सबसे इतर हत्या करने वाली भीड़ आत्ममुग्ध हो खुद को धर्म का ठेकेदार समझ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा बयान में कहा है कि सोशल मीडिया पर आजकल कई चीजें आ रही हैं। लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की जा रही है लेकिन कोई चिंतित नजर नहीं आता। पीठ ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए अगस्त के चौथे सप्ताह तक स्थगित कर दिया। भीड़ का इस तरह बेकाबू होना लोकतंत्र की हत्या के साथ ही देश के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज होने वाला वाक्या बनकर रह जाएगा। बेहतर होगा कि सरकार और राजनीतिक दल हालात बदलने के लिए गंभीरता से काम करें और अपने सत्ता-स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के लोगों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम करें!
मराठा आरक्षण में जलता महाराष्ट्र
आरक्षण की मांग को लेकर मराठा महाराष्ट्र में सड़क पर हैं और मुंबई से लेकर नांदेड़ तक जल रहा है। हालात यह हैं कि यहां की सत्ता में मराठों का दबदबा है और 60 फीसदी स्थानीय निकायों में मराठाओं का कब्जा है। मराठाओं की मांग है कि जो 72 हजार नौकरियों की भर्ती निकली है, उसमें उनको आरक्षण दिया जाए। मामला हाई कोर्ट में है, इसलिए राज्य सरकार के पास काफी कम विकल्प बचे हैं। मराठा कई उपजातियों में बंटे हैं, जिनमें कुनबी मराठाओं को पहले से ही ओबीसी के तहत आरक्षण है। हालांकि, सरकार मराठों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती, क्योंकि महाराष्ट्र की 31 प्रतिशत आबादी मराठा हैं। इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई।
यूपी में मौत बनी बारिश
उत्तर प्रदेश में भारी बारिश, बिजली गिरने और तूफान की वजह से बीते 48 घंटे में 33 लोगों की मौत हो गई है। राज्य आपदा विभाग के इस बारे में जारी आंकड़े के अनुसार 26 और 27 जुलाई को इससे सबसे ज्यादा 6 लोगों की आगरा में मौत हुई है, जबकि मेरठ और मैनपुर में 4-4 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मुजफ्फरनगर और कासगंज में 3-3 लोगों की इस वजह से मौत हुई है। सहारनपुर में आज यानी शनिवार तड़के एक मकान गिर गया। इस हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई। वहीँ, देश के अन्य हिस्सों में भी बारिश मुसीबत बन गई है। यमुना खतरे की सीमा लांघ रही है।
आईसीयू में करुणानिधि
लंबे समय से बीमार डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि (94) को शनिवार सुबह आईसीयू में शिफ्ट किया गया। शुक्रवार देर रात उन्हें यूरिन में इन्फेक्शन के चलते कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि अस्पताल के कार्यकारी निदेशक अरविंदन सेल्वराज ने कहा, "फिलहाल उनका ब्लड प्रेशर स्थिर है। डॉक्टरों का एक पैनल उन पर लगातार नजर रख रहा है।" इस बीच तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित करुणानिधि का हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे।
देशभर में व्यस्त सियासतदार
लोकसभा चुनाव में होने में तकरीबन नौ महीने का वक्त है, लेकिन देश के सियासतदार पूरी तरह चुनावी मूड दिख रहे हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के लखनऊ दौरे पर हैं। 30 दिनों में यह यूपी में उनका पांचवां दौरा है। मोदी दो दिन में यहां करीब 64 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इस मौके पर वह देश के 100 शहर के मेयर समेत 1400 से ज्यादा मेहमानों को भी संबोधित करेंगे।
वहीँ, शनिवार को सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। पार्टी के राज्यसभा सांसद और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर अंतित फैसला पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ही लेंगे। ममता बनर्जी भी चुनावों को लेकर ऐक्टिव दिखीं, जबकि कांग्रेस नित नए बयान और समीकरण के मंथन में व्यस्त दिख रही है।
शिवसेना भाजपा का साथ छोड़ हिंदुत्व कार्ड खेलने का मन बना रही है, तो बीजेपी का एक और सहयोगी दल लोजपा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी, तो अगले महीने उनकी पार्टी दलित संगठनों के साथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी।
अंततः जावेद अख्तर की पंक्तियां-
“गलत बातों को खामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर कदमों में सर अच्छा नहीं लगता॥”
■ सोनी सिंह
आम जन के चश्मे से देखे, इस हफ्ते कुछ खबरों ने देश को हिलाए रखा, इनमें किसी ने मानवीय संवेदना को झंकझोर दिया, तो कुछ राजनीतिक फायदे के लिए रची गई पटकथा सी प्रतीत हुई। बारिश की बूंदों के लिए तरस रहा यूपी अब पानी में डूब-उतर रहा है। बारिश से देश के कई हिस्सों में हालात बदतर हैं। इन सबके बीच, आगामी लोकसभा को साधने की कोशिश में सियासतदारों की कसरत जारी रही। दो भारतीयों को मैगसायसाय पुरस्कार के लिए चुने जाने की खबर ने देश का मान बढ़ाया।
बच्चियों के लिए “नर्क” बनता समाज
बिहार के मुजफ्फरपुर में अनाथ बच्चियों को शरण देने वाला “बलिका गृह” ही उनके लिए यातनाओं का बसेरा बनकर रह गया। वहीं, दिल्ली के मंडावली में तीन बच्चियां काल की ग्रास बन गईं। हालांकि, गुत्थी उलझी है कि भूख मासूमों को निगल गई या पिता ने ही उनकी जान ले ली! सच चाहे जो हो, लेकिन ये दोनों घटनाएं और हाल में घटी ऐसी ही कई घटनाएं समाज की जो तस्वीर हमारे सामने उजागर करती हैं, उसमें यही दिखता है कि समाज बच्चियों के लिए नर्क बनता जा रहा है। उनके सपनों को बेंचने-नोंचने-मारने के लिए पग-पग पर दरिंदें खड़े हैं।
यकीन नहीं आता तो, बिहार की रिपोर्ट को समझने की कोशिश करें, जिसे लेकर अब बिहार विधानसभा में हंगामा हो रहा है और सीबीआई जाँच का आदेश दिया गया है, वह रिपोर्ट 15 मार्च को ही समाज कल्याण विभाग को भेज दी गई थी। मुजफ्फरपुर स्थित इस बालिका गृह की खबर को जितना पढ़ने-समझने की कोशिश करेंगे, मानवता उतनी शर्मसार होगी। संक्षेप में इतना कि यहां से शिफ्ट की गईं 46 बच्चियों में से 42 बच्चियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया, जिनमें से 29 के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है। कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं, लेकिन न्याय कोसो दूर है।
यह ‛बालिका गृह’ शहर के ही ताकतवर व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर के नाम है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ब्रजेश ठाकुर का घर भी उसी परिसर में है। उनके घर का प्रवेश द्वार और बालिका गृह का प्रवेश द्वार ठीक आमने-सामने है। 31 अक्टूबर, 2013 से चल रहे इस बालिका गृह को हर साल करीब 40 लाख रुपए का फंड भी मिलता रहा है।
वहीँ, दिल्ली के मामले में पहले ये बात सामने आई कि बच्चियों की मौत भूख से हुई। मीडिया के हवाले से डॉक्टरों ने भी इस पर मुहर लगाई। अब शक के घेरे में पिता है, जो फिलहाल फरार है। मौत चाहे भूख से हउइ
हुई हो या पिता हत्यारा हो, सच तो यही है बच्चियां आसपास हों या आशियाने में कहीँ सुरक्षित नहीं। भूख नहीं भी लीलती तो कोई न कोई घात लगाए बैठा है!!
आत्ममुग्ध भीड़, दम तोड़ता लोकतंत्र
सुप्रीम कोर्ट भले बार-बार भारत में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं पर चिंता जता रहा हो। विदेशी मीडिया में ऐसे लेकर भारत की छवि खराब हो रही हो, लेकिन सरकार सुस्त चाल से हल निकाल रही है। वहीँ, मंत्री-संत्री इसे लेकर समय-असमय मनमाना बयान दे रहे हैं। और इन सबसे इतर हत्या करने वाली भीड़ आत्ममुग्ध हो खुद को धर्म का ठेकेदार समझ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा बयान में कहा है कि सोशल मीडिया पर आजकल कई चीजें आ रही हैं। लोगों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की जा रही है लेकिन कोई चिंतित नजर नहीं आता। पीठ ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए अगस्त के चौथे सप्ताह तक स्थगित कर दिया। भीड़ का इस तरह बेकाबू होना लोकतंत्र की हत्या के साथ ही देश के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज होने वाला वाक्या बनकर रह जाएगा। बेहतर होगा कि सरकार और राजनीतिक दल हालात बदलने के लिए गंभीरता से काम करें और अपने सत्ता-स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के लोगों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम करें!
मराठा आरक्षण में जलता महाराष्ट्र
आरक्षण की मांग को लेकर मराठा महाराष्ट्र में सड़क पर हैं और मुंबई से लेकर नांदेड़ तक जल रहा है। हालात यह हैं कि यहां की सत्ता में मराठों का दबदबा है और 60 फीसदी स्थानीय निकायों में मराठाओं का कब्जा है। मराठाओं की मांग है कि जो 72 हजार नौकरियों की भर्ती निकली है, उसमें उनको आरक्षण दिया जाए। मामला हाई कोर्ट में है, इसलिए राज्य सरकार के पास काफी कम विकल्प बचे हैं। मराठा कई उपजातियों में बंटे हैं, जिनमें कुनबी मराठाओं को पहले से ही ओबीसी के तहत आरक्षण है। हालांकि, सरकार मराठों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती, क्योंकि महाराष्ट्र की 31 प्रतिशत आबादी मराठा हैं। इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई।
यूपी में मौत बनी बारिश
उत्तर प्रदेश में भारी बारिश, बिजली गिरने और तूफान की वजह से बीते 48 घंटे में 33 लोगों की मौत हो गई है। राज्य आपदा विभाग के इस बारे में जारी आंकड़े के अनुसार 26 और 27 जुलाई को इससे सबसे ज्यादा 6 लोगों की आगरा में मौत हुई है, जबकि मेरठ और मैनपुर में 4-4 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मुजफ्फरनगर और कासगंज में 3-3 लोगों की इस वजह से मौत हुई है। सहारनपुर में आज यानी शनिवार तड़के एक मकान गिर गया। इस हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई। वहीँ, देश के अन्य हिस्सों में भी बारिश मुसीबत बन गई है। यमुना खतरे की सीमा लांघ रही है।
आईसीयू में करुणानिधि
लंबे समय से बीमार डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि (94) को शनिवार सुबह आईसीयू में शिफ्ट किया गया। शुक्रवार देर रात उन्हें यूरिन में इन्फेक्शन के चलते कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि अस्पताल के कार्यकारी निदेशक अरविंदन सेल्वराज ने कहा, "फिलहाल उनका ब्लड प्रेशर स्थिर है। डॉक्टरों का एक पैनल उन पर लगातार नजर रख रहा है।" इस बीच तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित करुणानिधि का हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे।
देशभर में व्यस्त सियासतदार
लोकसभा चुनाव में होने में तकरीबन नौ महीने का वक्त है, लेकिन देश के सियासतदार पूरी तरह चुनावी मूड दिख रहे हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के लखनऊ दौरे पर हैं। 30 दिनों में यह यूपी में उनका पांचवां दौरा है। मोदी दो दिन में यहां करीब 64 हजार करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इस मौके पर वह देश के 100 शहर के मेयर समेत 1400 से ज्यादा मेहमानों को भी संबोधित करेंगे।
वहीँ, शनिवार को सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। पार्टी के राज्यसभा सांसद और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर अंतित फैसला पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ही लेंगे। ममता बनर्जी भी चुनावों को लेकर ऐक्टिव दिखीं, जबकि कांग्रेस नित नए बयान और समीकरण के मंथन में व्यस्त दिख रही है।
शिवसेना भाजपा का साथ छोड़ हिंदुत्व कार्ड खेलने का मन बना रही है, तो बीजेपी का एक और सहयोगी दल लोजपा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी, तो अगले महीने उनकी पार्टी दलित संगठनों के साथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी।
अंततः जावेद अख्तर की पंक्तियां-
“गलत बातों को खामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर कदमों में सर अच्छा नहीं लगता॥”
■ सोनी सिंह
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