...तेरा गम रहे सलामत, मेरे दिल में क्या नहीं है - Kashi Patrika

...तेरा गम रहे सलामत, मेरे दिल में क्या नहीं है

कोई आरजू नहीं है, कोई मुद्दआ' नहीं है,
तेरा गम रहे सलामत, मेरे दिल में क्या नहीं है।

कहाँ जाम-ए-गम की तल्खी, कहाँ जिंदगी का दरमाँ,
मुझे वो दवा मिली है, जो मेरी दवा नहीं है।

तू बचाए लाख दामन, मेरा फिर भी है ये दावा,
तेरे दिल में मैं ही मैं हूँ, कोई दूसरा नहीं है।

तुम्हें कह दिया सितम-गर, ये कुसूर था जबाँ का।
मुझे तुम मुआ'फ कर दो, मेरा दिल बुरा नहीं है।

मुझे दोस्त कहने वाले, जरा दोस्ती निभा दे,
ये मुतालबा है हक का, कोई इल्तिजा नहीं है।

ये उदास-उदास चेहरे, ये हसीं-हसीं तबस्सुम,
तेरी अंजुमन में शायद, कोई आइना नहीं है।

मेरी आँख ने तुझे भी, ब-खुदा 'शकील' पाया,
मैं समझ रहा था मुझ सा, कोई दूसरा नहीं है।।
■ शकील बदायुनी

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