क्या ये संसद सत्र देश को कुछ दे पाएगा? - Kashi Patrika

क्या ये संसद सत्र देश को कुछ दे पाएगा?


यूँ तो संसद की अपनी कार्य प्रणाली हैं और उसके चलने न चलने के लिए सरकार और विपक्ष दोनों की आवश्यकता हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता हैं संख्याबल, जो किसी भी विधेयक को पास कराने या अटकाने के लिए जिम्मेदार होता हैं। जिस तरह देश आज राम भरोसे चल रहा हैं, वैसा ही हाल देश की संसद का भी है। सरकार और विपक्ष के बीच कल से शुरू होने वाला संसद का मानसून सत्र देश को कुछ दे पाएगे या नहीं ये तो समय ही बताएगा। आईए जानते हैं क्या हैं वर्तमान संसद के मानसून सत्र के मुख्य मुद्दे -

तीन तलाक बिल- द मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्सन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज) बिल,2017. इस बिल में तीन तलाक या तलाक-ए- बिद्दत को अपराध घोषित करने का प्रावधान है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी “सायरा बॉनो बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस” में 22 अगस्त 2017 को सायरा बानो के हक में फैसला सुनाया था। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 के बहुमत से ट्रिपल तलाक को स्पष्ट रूप से मनमाना करार देते हुए कहा था ‘अटल प्रथा है, जहां एक बार तलाक देने के बाद अगर दोनों परिवार के लोग चाहें भी तो भी शादी को बचाने की कोशिश नहीं कर सकते।' इस बिल के मुताबिक तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत गैर कानूनी होगा। बिल के क्लॉज नंबर 3 के मुताबिक अगर कोई शख्स मुंह जुबानी, लिखकर या किसी इलेक्ट्रानिक माध्यम से अपनी पत्नी को तलाक कहता है तो वो गैर कानूनी होगा।

प्रस्तावित दंडात्मक उपाय क्या है?

अगर किसी शख्स ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया तो उसे जेल जाना होगा, साथ ही उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगेगा। बिल के मुताबिक तलाक-ए-बिद्दत गैर जमानती अपराध होगा। बिल के क्लॉज नंबर चार के मुताबिक ‘जो भी शख्स अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, उसे जेल जाना होगा और उसकी सजा तीन साल तक हो सकती है।’ बिल के क्लॉज नंबर 7 के मुताबिक ‘इस एक्ट के अंतर्गत तीन तलाक गैरजमानती और कॉगनीजेबल क्राइम होगा, यानी पुलिस थाने से आरोपी को जमानत नहीं मिल सकेगी। विपक्ष बिल के इस प्रावधान का सबसे ज्यादा विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि तलाक देने पर कही भी जेल का प्रावधान नहीं है। इसके चलते यह बिल संसद के पूर्व बजट सत्र में पास भी नहीं हो पाया था।

 ये बिल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की कैसे रक्षा करेगा?

जिस महिला को ट्रिपल तलाक दिया गया होगा, उसे उसके पति की तरफ से खर्चा मिलेगा और बच्चों की कस्टडी उसके पास ही होगी। बिल के क्लॉज नंबर 5 और 6 के मुताबिक ‘जिस मुस्लिम महिला को तीन तलाक दिया गया है उसका अधिकार होगा कि वो अपने पति से अपने और बच्चों के लिए एक निश्चित धनराशि की मांग कर सकती है। इसके अलावा तीन तलाक होने के बाद बच्चे की कस्टडी भी मां के पास ही होगी।’ विपक्ष ने इस पर भी ऊँगली उठाई थी कि अगर पति को जेल में डाल दिया जाएगा, तो भरण-पोषण के लिए वो पत्नी और बच्चों को पैसे कहाँ से देगा।

सरकार का मुख्य जोर तीन तलाक बिल पास करवाना हैं, इसके आलावा पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल और बलात्कार के दोषियों को सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल और कई महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद के मानसून सत्र में सरकार रख सकती है।

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