बेबाक हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक हस्तक्षेप

सर्वोच्च न्यायालय ने भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए हैं और कानून बना कर ऐसी निर्ममता को रोकने की बात भी कही है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया और उसी दिन झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश हिंसक भीड़ का कोपभाजन बन गए। ऐसे में, सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ कानून बनाकर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है, तो देश में पहले से ही इससे सम्बंधित कई कानून मौजूद हैं। साफ है कि भीड़ को रोकने के लिए शासन-प्रशासन की     मंशा जरूरी है और समाज में ऐसे मामलों को लेकर स्वास्थ्य मानसिकता भी जरूरी है।
वैसे भी, भीड़ द्वारा हत्या, कानून हाथ में लेना भारत में पहले से चला आ रहा है। खाप पंचायत इसके उदाहरण हैं ही, महिला को डायन समझकर हत्या या गांव में चोरी करते पकड़ा गए चोर या गोकशी के आरोप में धरे गए छोटे कारोबारी की हत्या जैसे मामले सामने आते रहते हैं। पिछले दिनों बच्चा चोरी के आरोप में कितने लोग भीड़ के हत्थे चढ़ गए। ज्यादातर मामलों में असहाय गरीब-गुरबा ही इस न्याय का शिकार होते पाए जाते हैं। भीड़ द्वारा की गई इन हत्याओं के पीछे यौनिकता, संपत्ति या राजनीतिक नफे-नुकसान के मसले गुथे होते हैं। ऐसे में जब सरकार के कुछ लोग हिंसक भीड़ का सम्मान कर आते हैं, तो इन्हें रोकने में उनकी नीयत कितनी साफ होगी, यह कहना मुश्किल है!
बहरहाल, इतना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से विपक्ष को एक और मसला मिल गया है, जिससे वह केंद्र सरकार को मानसून सत्र में घेर सकती है।
■ संपादकीय

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