गोवा में पणजी से 30 किमी दूर सखाली में एक कॉलेज में विद्यार्थियों के सवालों का जबाब देते हुए तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दलाई लामा का कहना हैं कि अगर नेहरू इस बात पर अड़े नहीं रहते कि आजादी के बाद वो ही प्रधानमंत्री बनेंगे, तो आज भारत और पकिस्तान एक देश होते। विद्यार्थियों के सवाल कि किस तरह से निर्णय लेने की क्षमता को सुधारा जा सकता है, के उत्तर में उन्होंने यह बात कही। दलाई लामा ने कहा कि निर्णय लेने की क्षमता तब सुधरती है, जब हम किसी विषय का बार-बार विश्लेषण करते हैं।
दलाई लामा ने तिब्बत की स्वतंत्रता पर भी अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने माना कि स्वतंत्र तिब्बत का विचार तत्कालीन परिस्थितियों में कठिन है। वर्तमान में इसका केवल एक उपाय है, जिसके अंतर्गत यूरोप की तर्ज पर तिब्बत चीन के भीतर ही सामान हित के मुद्दे पर स्वतंत्र रह सकता है। यह व्यवहारिक और यथार्थवादी भी है।
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