मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला - Kashi Patrika

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला


मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला, 
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे, 
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला।

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था, 
फिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला।

खुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैंने,
बस एक शख्स को माँगा मुझे वही न मिला। 

बहुत अजीब है ये कुर्बतों की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।
बशीर बद्र

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