बेबाक हस्तक्षेप - Kashi Patrika

बेबाक हस्तक्षेप

स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक की उपलब्धियों पर ही चर्चा नहीँ की, बल्कि दस करोड़ परिवारों को अपने दायरे में लेने वाली दुनिया की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‛आयुष्मान’ का जिक्र भी किया। इस दौरान उन्होंने खास तौर पर गरीबों, महिलाओं और किसानों को यह भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि वे सब उनकी सरकार की विशेष प्राथमिकता में हैं। विकास, अंतरिक्ष तक उड़ान सब बातें कुल मिलाकर आगामी लोकसभा चुनाव को साधने की कोशिश थी, लेकिन योजनाओं की जमीनी हकीकत किसी से छुपी नहीं है!

अब बात महिलाओं की सुरक्षा को लेकर करें, तो भाजपा को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्य यूपी को ही ले लें, जहां भाजपा का ही शासन है, तो महिलाओं से जुड़े अपराधों के आंकड़े चौकाने वाले हैं। सूबे में बढ़ते अपराध को लेकर सपा सरकार बदनाम रही है। उसके बीते कार्यकाल में यूपी में बलात्कार भी चरम पड़ रहा और “बच्चों से भूल हो जाती है” बयान को लेकर तत्कालीन सपा सुप्रीम मुलायम सिंह यादव पर चौतरफा हमले भी हुए थे। चिंतनीय विषय यह है कि योगी सरकार में महिलाएं तब से भी ज्यादा असुरक्षित हो गईं हैं। यह उत्तर प्रदेश के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़े कहते हैं।

एक आरटीआई के जवाब में यह बात सामने आई कि अखिलेश सरकार की अपेक्षा योगी राज में महिलाओं के विरुद्ध 7.25 गुना अपराध बढ़ गया है।अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे, जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। इसके आलावा अखिलेश के समय में दहेज हत्या के 7 से कम मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे, जो वर्तमान में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं। महिलाओं के प्रति अन्य अपराधिक मामलों में भी कमोवेश यही हाल है। अखिलेश यादव के समय में महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए, जो अब 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं। आंकड़ों को आसन तरीके से समझने की कोशिश करें, तो अखिलेश यादव के 826 दिनों के कार्यकाल में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 179749 अपराध हुए, जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के समय 107 दिनों में ही राज्य में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 76416 अपराध घटित हो गए हैं।

ऐसे में, प्रधानमंत्री के महिलाओं को प्राथमिकता देने पर संदेह होता है, वह भी ऐसी स्थिति में जब उन्हीं की सरकार वाले सिर्फ एक राज्य में स्थिति इतनी भयावह हो। और बिहार से लेकर यूपी, एमपी तक के शेल्टर होम शोषण का गढ़ बने हो, वो भी सरकार की नाक के नीचे।
■ संपादकीय

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