संसद में विपक्ष को पटखनी
राज्यसभा उपसभापति पद के लिए हुए चुनाव में एनडीए ने विपक्ष को पटखनी दे दी है। एनडीए उम्मीदवार हरिवंश प्रसाद सिंह ने यूपीए के कैंडिडेट बीके हरिप्रसाद को शिकस्त दे दी है। हरिवंश को 125 वोटों के साथ विजयी घोषित कर दिए गए हैं। वहीं, हरि प्रसाद को 105 वोट मिले। इस चुनाव में कई आम आदमी पार्टी सहित कई पार्टियों ने वोट न करने का फैसला किया। वहीं, बीजू जनता ने राजग उम्मीदवार का समर्थन किया। जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरिवंश नारायण सिंह को बधाई देते हुए कहा, “वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के भी प्रिय थे। उनके अंदर लेखन की प्रतिभा है।”
लोकसभा 2019 से पहले इस चुनाव को विपक्षी एकजुटता की परीक्षा के तौर पर भी देखा रहा था। लेकिन कई पार्टियों ने जिस तरह खुद को वोटिंग से अलग कर लिया उससे विपक्षी एकजुटता सन्देह के घेरे में आ गया है। हालांकि, इस चुनाव में संख्याबल के मामले में एनडीए का पलड़ा शुरू से ही भारी रहा। 242 सदस्यों वाले इस सदन में जीत के लिए 118 वोट चाहिए था। इस आंकड़े को पार करते हुए हरिवंश नारायण सिंह को 125 वोट मिले। एनडीए से नाराज चल रही शिवसेना के अलावा अकाली, बीजू जनता दल, टीआरएस आदि के एनडीए के पक्ष में आने की वजह से उनका पलड़ा भारी हो गया था।
बलिया है जन्मभूमि
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में 30 जून, 1956 को जन्मे हरिवंश को जेपी आंदोलन से काफी प्रभावित माने जाते हैं।
बीएचयू प्रोडक्ट रहे हैं हरिवंश
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई करने वाले हरिवंश ने अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की थी। उन्होंने रविवार और धर्मयुग जैसी कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं में काम किया, जहां उन्हें एसपी सिंह और धर्मवीर भारती जैसे दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ भी उन्होंने काम किया।
प्रभात खबर से दो दशक का रिश्ता
90 के दशक में वे बिहार के बड़े मीडिया समूह से जुड़े। इस संस्थान को हरिवंश राय ने दो दशक तक अपनी सेवाएं दी। हरिवंश ने अपने प्रभात खबर में अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के ज्वलंत विषयों और आर्थिक रुप से कमजोर बिहार की तस्वीर सरकार के सामने रखी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साफ छवि गढ़ने में हरिवंश का अहम योगदान माना जाता है।
■■
लोकसभा 2019 से पहले इस चुनाव को विपक्षी एकजुटता की परीक्षा के तौर पर भी देखा रहा था। लेकिन कई पार्टियों ने जिस तरह खुद को वोटिंग से अलग कर लिया उससे विपक्षी एकजुटता सन्देह के घेरे में आ गया है। हालांकि, इस चुनाव में संख्याबल के मामले में एनडीए का पलड़ा शुरू से ही भारी रहा। 242 सदस्यों वाले इस सदन में जीत के लिए 118 वोट चाहिए था। इस आंकड़े को पार करते हुए हरिवंश नारायण सिंह को 125 वोट मिले। एनडीए से नाराज चल रही शिवसेना के अलावा अकाली, बीजू जनता दल, टीआरएस आदि के एनडीए के पक्ष में आने की वजह से उनका पलड़ा भारी हो गया था।
बलिया है जन्मभूमि
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में 30 जून, 1956 को जन्मे हरिवंश को जेपी आंदोलन से काफी प्रभावित माने जाते हैं।
बीएचयू प्रोडक्ट रहे हैं हरिवंश
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई करने वाले हरिवंश ने अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की थी। उन्होंने रविवार और धर्मयुग जैसी कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं में काम किया, जहां उन्हें एसपी सिंह और धर्मवीर भारती जैसे दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ भी उन्होंने काम किया।
प्रभात खबर से दो दशक का रिश्ता
90 के दशक में वे बिहार के बड़े मीडिया समूह से जुड़े। इस संस्थान को हरिवंश राय ने दो दशक तक अपनी सेवाएं दी। हरिवंश ने अपने प्रभात खबर में अपने कार्यकाल के दौरान राज्य के ज्वलंत विषयों और आर्थिक रुप से कमजोर बिहार की तस्वीर सरकार के सामने रखी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साफ छवि गढ़ने में हरिवंश का अहम योगदान माना जाता है।
■■
No comments:
Post a Comment