इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ - Kashi Patrika

इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ


इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ,
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ।

तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ।

हम भी मजबूरियों का उज़्र* करें,
फिर कहीं और मुब्तिला* हो जाएँ।

अब के गर तू मिले तो हम तुझसे,
ऐसे लिपटें तेरी क़बा* हो जाएँ।

बंदगी हमने छोड़ दी फराज,
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएँ।
■ अहमद फराज

(* उज्र  =  दलील, माफी, * मुब्तिला = शामिल, इन्वोल्व,* कबा  =  ड्रेस)

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