स्वतंत्रता दिवस विशेष: देश को धर्म-जाति-सम्प्रदाय में बांटकर देखने की बजाय यहां के निवासियों को भारतीय के रूप में संगठित करने के विचार ने ही भारत माता मंदिर की नींव रखी होगी। तो क्यों न आज हम भी एकता-अखंडता के प्रतीक इस मंदिर की तरह देश में भी एक हो जाएं, ताकि भारत की स्वास्थ्य और सही दिशा में तरक्की हो...
धर्म-कर्म-शिक्षा की प्राचीन नगरी वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर में किसी देवी-देवता, महापुरुष की मूर्ति नहीं, बल्कि भारत माता का अखंड मानचित्र है। दरअसल, इस मंदिर के बीचो-बीच नक्शा बनाया गया है, जिसो संगमरमर के पत्थर पर रखा गया है। अपनी इस अनोखी खासियत के कारण यह मंदिर विदेशी टूरिस्ट को भी आकर्षित करता है।
यूं आया मंदिर का विचार
भारत माता के इस अनोखे मंदिर को राष्ट्र रत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त को 1913 में करांची कांग्रेस से लौटते हुए मुम्बई जाने का अवसर मिला था। वहाँ से वह पुणे गये और धोंडो केशव कर्वे का विधवा आश्रम देखा। आश्रम में ज़मीन पर 'भारत माता' का एक मानचित्र बना था, जिसमें मिट्टी से पहाड़ एवं नदियां बनी थीं। वहाँ से लौटने के बाद शिवप्रसाद गुप्त ने इसी तरह का संगमरमर का भारत माता का मंदिर बनाने का विचार किया। उन्होंने इसके लिये अपने मित्रों से विचार-विमर्श किया। उस समय के प्रख्यात इंजीनियर दुर्गा प्रसाद सपनों के मंदिर को बनवाने के लिये तैयार हो गये और उनकी देख रेख में काम शुरू हुआ।
महात्मा गांधी ने किया था उद्घाटन
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित इस मंदिर का निर्माण बाबु शिव प्रसाद गुप्ता ने 1918 से 1924 के बीच कराया था। इसका उद्घाटन 25 अक्तूबर,1936 को महात्मा गांधी ने ही किया था।
अविभाज्य भारत की तस्वीर
मंदिर के बीचो-बीच संगमरमर के पत्थर पर भारत के साथ बर्मा, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका आदि कई अविभाजित देशों के मानत्रिच बने हुए हैं।
मंदिर की खासियत
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देशवासियों को धर्म-जाति-
सम्प्रदाय में नहीं बांटता, बल्कि सभी यहां बेरोकटोक आ सकते हैं। मंदिर के निर्माण में 30 मजदूर और 25 राजमिस्त्री ने मिलकर काम किया, जिनके नाम आज भी यहां की दीवार पर अंकित है। भारत के अविभाजित मानचित्र की खासियत ये है कि इसमें करीब 450 पर्वत श्रृंखलाओं और चोटियों, मैदानों, जलाशयों, नदियों, महासागरों और पठारों समेत कई भौगोलिक ढांचों का बारीकी से नक्शा बनाया गया है। मंदिर के नीचे ऐसी जगह है, जहां से इस मानचित्र पर उकेरी गयी पर्वत श्रंखला और नदियां सभी को आसनी से देखा और महसूस किया जा सकता है।
आज विशेष सजावट
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मंदिर को बेहद खास तरीके से सजाया जाता है। इन दिनों में नक्शे में दिखाए गए जलाश्यों में पानी और मैदानी इलाकों को फूलों से सजाया जाता है। अगर आप भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहीं जाने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए परफेक्ट जगह है।
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धर्म-कर्म-शिक्षा की प्राचीन नगरी वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर में किसी देवी-देवता, महापुरुष की मूर्ति नहीं, बल्कि भारत माता का अखंड मानचित्र है। दरअसल, इस मंदिर के बीचो-बीच नक्शा बनाया गया है, जिसो संगमरमर के पत्थर पर रखा गया है। अपनी इस अनोखी खासियत के कारण यह मंदिर विदेशी टूरिस्ट को भी आकर्षित करता है।
यूं आया मंदिर का विचार
भारत माता के इस अनोखे मंदिर को राष्ट्र रत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त को 1913 में करांची कांग्रेस से लौटते हुए मुम्बई जाने का अवसर मिला था। वहाँ से वह पुणे गये और धोंडो केशव कर्वे का विधवा आश्रम देखा। आश्रम में ज़मीन पर 'भारत माता' का एक मानचित्र बना था, जिसमें मिट्टी से पहाड़ एवं नदियां बनी थीं। वहाँ से लौटने के बाद शिवप्रसाद गुप्त ने इसी तरह का संगमरमर का भारत माता का मंदिर बनाने का विचार किया। उन्होंने इसके लिये अपने मित्रों से विचार-विमर्श किया। उस समय के प्रख्यात इंजीनियर दुर्गा प्रसाद सपनों के मंदिर को बनवाने के लिये तैयार हो गये और उनकी देख रेख में काम शुरू हुआ।
महात्मा गांधी ने किया था उद्घाटन
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित इस मंदिर का निर्माण बाबु शिव प्रसाद गुप्ता ने 1918 से 1924 के बीच कराया था। इसका उद्घाटन 25 अक्तूबर,1936 को महात्मा गांधी ने ही किया था।
अविभाज्य भारत की तस्वीर
मंदिर के बीचो-बीच संगमरमर के पत्थर पर भारत के साथ बर्मा, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका आदि कई अविभाजित देशों के मानत्रिच बने हुए हैं।
मंदिर की खासियत
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देशवासियों को धर्म-जाति-
सम्प्रदाय में नहीं बांटता, बल्कि सभी यहां बेरोकटोक आ सकते हैं। मंदिर के निर्माण में 30 मजदूर और 25 राजमिस्त्री ने मिलकर काम किया, जिनके नाम आज भी यहां की दीवार पर अंकित है। भारत के अविभाजित मानचित्र की खासियत ये है कि इसमें करीब 450 पर्वत श्रृंखलाओं और चोटियों, मैदानों, जलाशयों, नदियों, महासागरों और पठारों समेत कई भौगोलिक ढांचों का बारीकी से नक्शा बनाया गया है। मंदिर के नीचे ऐसी जगह है, जहां से इस मानचित्र पर उकेरी गयी पर्वत श्रंखला और नदियां सभी को आसनी से देखा और महसूस किया जा सकता है।
आज विशेष सजावट
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मंदिर को बेहद खास तरीके से सजाया जाता है। इन दिनों में नक्शे में दिखाए गए जलाश्यों में पानी और मैदानी इलाकों को फूलों से सजाया जाता है। अगर आप भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहीं जाने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए परफेक्ट जगह है।
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