हैंडलूम सेक्टर के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‛कबीर सम्मान’ से पहली बार बुनकरों को नवाजा जा रहा है, जिसमें रामनगर के कमालुद्दीन अंसारी भी शामिल हैं
बनारस अपनी धर्म-संस्कृति को लेकर जितना पहचान जाता है, उतनी ही खासियत यहां बनी साड़ियां भी रखती हैं। लेकिन उन्हें बनाने वाला बुनकर समाज और बुनकर उद्योग आजकल अपनी बदहाली को लेकर गाहे-बेगाहे चर्चा में आ ही जाता है। एक बार फिर बात बुनकर की उठी है, लेकिन इस बार रामनगर के बाशिंदे ‛कमालुद्दीन अंसारी’ कबीर सम्मान से नवाजे जाने की वजह से सुर्खियों में हैं।
कल जयपुर में मिलेगा सम्मान
‛कबीर सम्मान’ भारत सरकार की ओर से हैंडलूम सेक्टर में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है, जो पहली बार बुनकरों को दिया जा रहा है। अंसारी समेत देश के 5 बड़े बुनकरों को 2016 का सर्वोच्च कबीर सम्मान 7 अगस्त को ‛नेशनल हैंडलूम डे’ पर जयपुर में दिया जाएगा। इस मौके पर अन्य 17 सत्रह नेशनल अवार्ड सहित 49 बुनकरों को सम्मानित किया जाएगा।
45 दिनों की मेहनत से बनी यह साड़ी
कमालुद्दीन को यह पुरस्कार उनकी बनाई ज्यामितीय पैटर्न वाली बनारसी कढूवा साड़ी के लिए दिया जा रहा है। यह साड़ी 45 दिनों तक तीन लोगों की मदद से कमालुद्दीन अंसारी ने तैयार की, जिस पर करीब 40,000 रुपये की लागत आई।
बुनकरी से जुड़ा है पूरा परिवार
रामनगर स्थित रामपुर मोहल्ले में रहने वाले 62 वर्षीय कमालुद्दीन अंसारी का पूरा परिवार साड़ी बनाने के काम से जुड़ा है। उनके छोटे पुत्र इस्लाम अंसारी को इसी साल यूपी दिवस पर सीएम योगी ने प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ युवा बुनकर पुरस्कार से सम्मानित किया था। और अब कमालुद्दीन को मिलने वाले इस क्षेत्र के सबसे सम्माननीय पुरस्कार की घोषणा के बाद से ही क्षेत्र में खुशी की लहर है।
90 परिवार जुड़े हैं इस कला से
कमालुद्दीन के बेटे इस्लाम ने बताया कि राम नगर में करीब 90 परिवार बुनकरी का काम करता है। एक बुनकर को कबीर पुरस्कार के लिए चुने जाने से लोगों में हर्ष है और इस कला को एक नई पहचान मिलेगी।
पहले भी हुए सम्मानित
कमालुद्दीन अंसारी पहले भी अपनी ब्रिटिश पैटर्न के गुलदस्ता साड़ी के लिए सम्मानित किए जा चुके हैं। तब उन्हें पर चेन्नई में पीएम नरेंद्र मोदी ने सम्मान दिया था।
बनारस अपनी धर्म-संस्कृति को लेकर जितना पहचान जाता है, उतनी ही खासियत यहां बनी साड़ियां भी रखती हैं। लेकिन उन्हें बनाने वाला बुनकर समाज और बुनकर उद्योग आजकल अपनी बदहाली को लेकर गाहे-बेगाहे चर्चा में आ ही जाता है। एक बार फिर बात बुनकर की उठी है, लेकिन इस बार रामनगर के बाशिंदे ‛कमालुद्दीन अंसारी’ कबीर सम्मान से नवाजे जाने की वजह से सुर्खियों में हैं।
कल जयपुर में मिलेगा सम्मान
‛कबीर सम्मान’ भारत सरकार की ओर से हैंडलूम सेक्टर में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है, जो पहली बार बुनकरों को दिया जा रहा है। अंसारी समेत देश के 5 बड़े बुनकरों को 2016 का सर्वोच्च कबीर सम्मान 7 अगस्त को ‛नेशनल हैंडलूम डे’ पर जयपुर में दिया जाएगा। इस मौके पर अन्य 17 सत्रह नेशनल अवार्ड सहित 49 बुनकरों को सम्मानित किया जाएगा।
45 दिनों की मेहनत से बनी यह साड़ी
कमालुद्दीन को यह पुरस्कार उनकी बनाई ज्यामितीय पैटर्न वाली बनारसी कढूवा साड़ी के लिए दिया जा रहा है। यह साड़ी 45 दिनों तक तीन लोगों की मदद से कमालुद्दीन अंसारी ने तैयार की, जिस पर करीब 40,000 रुपये की लागत आई।
बुनकरी से जुड़ा है पूरा परिवार
रामनगर स्थित रामपुर मोहल्ले में रहने वाले 62 वर्षीय कमालुद्दीन अंसारी का पूरा परिवार साड़ी बनाने के काम से जुड़ा है। उनके छोटे पुत्र इस्लाम अंसारी को इसी साल यूपी दिवस पर सीएम योगी ने प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ युवा बुनकर पुरस्कार से सम्मानित किया था। और अब कमालुद्दीन को मिलने वाले इस क्षेत्र के सबसे सम्माननीय पुरस्कार की घोषणा के बाद से ही क्षेत्र में खुशी की लहर है।
90 परिवार जुड़े हैं इस कला से
कमालुद्दीन के बेटे इस्लाम ने बताया कि राम नगर में करीब 90 परिवार बुनकरी का काम करता है। एक बुनकर को कबीर पुरस्कार के लिए चुने जाने से लोगों में हर्ष है और इस कला को एक नई पहचान मिलेगी।
पहले भी हुए सम्मानित
कमालुद्दीन अंसारी पहले भी अपनी ब्रिटिश पैटर्न के गुलदस्ता साड़ी के लिए सम्मानित किए जा चुके हैं। तब उन्हें पर चेन्नई में पीएम नरेंद्र मोदी ने सम्मान दिया था।
यह सम्मान मिलना बेहद गर्व की बात है। इससे हम जैसे नवयुवक जो इस कला से जुड़े हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा
- इस्लाम अंसारी, पुत्र कमालुद्दीन अंसारी
■ काशी पत्रिका
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