पांडित्य बोझ है - Kashi Patrika

पांडित्य बोझ है

ज्ञान तलाशना है तो उसे शब्दों से मत खोजो, वह तो निःशब्द से मिलता है। वह सोचने-विचारने से नहीं मिलता, निर्विचार होने से मिलता है। वही ज्ञान तुम्हें जीवित करेगा...

पांडित्य तो बोझ है; उससे तुम मुक्त न होओगे। वह तो तुम्हें और भी बांधेगा। वह तो गले में लगी फांसी है, पैरों में पड़ी जंजीर है। पंडित तो कारागृह बन जाएगा तुम्हारे चारों तरफ। तुम उसके कारण अंधे हो जाओगे। तुम्हारे द्वारा दरवाजे बंद हो जाएंगे। क्योंकि जिसे भी यह भ्रम पैदा हो जाता है, कि शब्दों को जानकर उसने जान लिया, उसका अज्ञान पत्थर की तरह मजबूत हो जाता है।

तुम उस ज्ञान की तलाश करना जो शब्दों से नहीं मिलता, निःशब्द से मिलता हैं। जो सोचने विचारने से नहीं मिलता, निर्विचार होने से मिलता है। तुम उस ज्ञान को खोजना, जो शास्त्रों में नहीं है, स्वयं में है। वही ज्ञान तुम्हें मुक्त करेगा, वही ज्ञान तुम्हें एक नये नर्तन से भर देगा। वह तुम्हें जीवित करेगा, वह तुम्हें तुम्हारी कब्र के ऊपर बाहर उठाएगा। उससे ही आएंगे फूल जीवन के। और उससे ही अंततः परमात्मा का प्रकाश प्रगटेगा।
■ ओशो

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