वाराणसी Updates - Kashi Patrika

वाराणसी Updates

सुबह 11 बजे तक 1 लाख भक्तों ने किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन


सावन के चौथे और अंतिम सोमवार श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में भक्तों का अपार रेला काशी विश्वनाथ के दर्शन को उमड़ा। रविवार रात से लगी कतार और भोर में मंगला आरती के बाद 3.45 बजे शुरू हुआ दर्शन तो कतार दो किलोमीटर के करीब पहुंच गई। जहां सुबह नौ बजे तक 70 हजार कावरियों व शिव भक्तों ने दर्शन व जलाभिषेक किया, तो अगले दो घंटों में ही दर्शनार्थियों का आंकड़ा एक लाख से ऊपर पार कर गया। लोगों की आस्था का उफान ऐसा कि कतार का एक सिरा गोदौलिया दशाश्वमेघ, गिरजाघर होते लक्सा को छू रहा, तो दूसरी पंक्ति चौक, नीचीबाग से आगे जा चुकी थी। लगभग चार किलोमीटर का इलाका बम बोल और हर हर महादेव के उद्घोष से तड़के से ही गूंजता रहा। सुबह से ही गंगा में स्नान दान करने वालों की भीड़ को देखते हुए घाटों पर जल पुलिस की मौजूद है, वहीँ बाबा दरबार में भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है। 

गरीबों का मुफ्त इलाज करने बनारस पहुंचा चलता-फिरता हाईटेक अस्पताल 

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गरीबों को हाईटेक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लाइफ लाइन एक्सप्रेस ने डेरा डाल दिया है। सात डिब्बे वाला विश्व का पहला चलता फिरता अस्पताल ‘लाइफ लाइन’ काशी रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद मालगोदाम में चार नंबर की पटरी पर खड़ी की गई है। इसमें कैंसर से लेकर दांतों के परीक्षण तक के नि:शुल्क इलाज की सुविधा है। चिकित्सा व्यवस्था के रजिस्ट्रेशन के लिए लाभार्थियों को अपने साथ आईडी के तौर पर आधार कार्ड लाना होगा। सोमवार को आंखों के परीक्षण के साथ इसकी ओपीडी शुरू होगी तथा 30 अगस्त तक यानी 21 दिनों तक वाराणसी के लोगों को मुफ्त चिकित्सीय सेवा प्रदान करेगी। ओपीडी सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक चलेगी।
गरीबों के “मसीहा” की खासियत
डॉक्टर को भगवान का रूप कहते हैं और गरीबों के इलाज के लिए चलाई जाने वाली सात डिब्बों वाली लाइफ लाइन एक्सप्रेस में मरीजों की देखभाल के साथ ही इसमें कई तरह के ऑपरेशन भी किए जा सकते हैं। कैंसर के ऑपरेशन की व्यवस्था हाल में की गई है। इसमें देश के टॉप क्लास डॉक्टर एक बड़े अस्पताल की तरह 21 दिनों तक ओपीडी चलाएंगे। अगर आप कम सुनते हैं, आंखों से साफ नहीँ दिखता है और आप गरीब हैं, तो आप यहां इलाज के लिए आ सकते हैं।
27 साल से चल रही ट्रेन
लाइफ लाइन एक्सप्रेस 27 साल से चल रही है। इस ट्रेन में अब तक 10 लाख से अधिक लोगों का इलाज हो चुका है। 16 जुलाई, 1991 में शुरू हुई इंपैक्ट
इंडिया फाउंडेशन की लाइफ  लाइन एक्सप्रेस में पहले केवल तीन बोगियां थीं। अब इस ट्रेन में सात बोगियां हो गई हैं। जनरल इंश्योरेंस कंपनी के सौजन्य और प्रदेश सरकार के सहयोग से संचालित लाइफ  लाइन एक्सप्रेस कर्नाटक के बेलारी से चलकर शनिवार रात काशी रेलवे स्टेशन पहुंची है।
इलाज के लिए लाना होगा आईडी
लाइफ  लाइन एक्सप्रेस में चिकित्सा व्यवस्था के रजिस्ट्रेशन के लिए लाभार्थियों को अपने साथ आईडी के तौर पर आधार कार्ड लाना होगा। विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा आंख, कटे-फटे होंठ, दांत, घुटने का दर्द व प्रत्यारोपण, स्त्री रोग, कैंसर, पोलियो, मिर्गी आदि रोगों की जांच उपचार व ऑपरेशन नि:शुल्क किए जाएंगे। भर्ती होने वाले मरीजों के लिए नि:शुल्क दवाएं, भोजन व आवास की व्यवस्था होगी। मरीजों के साथ एक व्यक्ति, सहयोगी के रूप में रह सकेगा।
रविवार सुबह महापौर मृदुला जायसवाल ने फीता काट कर लाइफ लाइन एक्सप्रेस का उद्घाटन किया। इस दौरान इंपैक्ट इंडिया के सीईओ ईजे जोसेफ, प्रो. रोहिणी चोगुले, सीएमओ डॉ. वीबी सिंह समेत फाउंडेशन के अन्य लोग मौजूद रहे।
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कुंभ के दौरान वाराणसी से इलाहाबाद के बीच सी-प्लेन उड़ाने की तैयारी

प्रयाग में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों के बीच सरकार वाराणसी से इलाहाबाद की दूरी को कम करने की भी कोशिश में जुटी दिख रही है। जहाजी सफर की तैयारी के अलावा अब सी-प्लेन चलाने पर सरकार विचार कर रही है। इस बार के कुंभ आयोजन को विशेष बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पहले ही कमर कस चुकी है। देश के साथ ही विदेश से भी बड़ी संख्या में लोगों को बुलाने और व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर प्रयाग का कायाकल्प तो किया ही जा रहा है। आवागमन को व्यवस्थित करने को लेकर कसरत की जा रही है।

यातायात व्यवस्था में असुविधाओं को देखते हुए कुंभ मेले के लिए वाराणसी से इलाहाबाद के बीच जलमार्ग से आवागमन की सुविधा शुरू करने की तैयारियां की जा रही है। पहले पानी में पोत उतारे जाने की तैयारियां की जा रही थी, जिससे इलाहबाद पहुंचने में पूरा दिन लग जाता। लेकिन अब विदेशों से एयरक्राफ्ट मंगवा कर वाराणसी से इलाहबाद की दूरी को बहुत कम करने की तैयारियां भी की जा रही है। जो एयरक्राफ्ट पहले सिर्फ विदेशों में देखे जाते थे वो अब प्रयाग में भी देखने को मिल सकते हैं। अब पानी के जरिए कुंभ मेले में वाराणसी से इलाहबाद का सफर सिर्फ डेढ़ घंटे में तय किया जा सकेगा।

गंगा में एयरक्राफ्ट चलना वाकई कुंभ मेले के दौरान फायदेमंद साबित होगा। जिस दूरी को पार करने में पोत से पूरा दिन लग जाता। यहां तक की सर्दी के समय कोहरे के कारण पानी में पोत चलाने में खतरा महसूस किया जाता वो एयरक्राफ्ट से कम हो जाएगा। हालांकि, इस बारे में अभी तक अंतिम निर्णय आना बाकी है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट काअ आदेश: जर्जर स्कूलों की जांच हो 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के खस्ताहाल प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की जांच का निर्देश दिया है। डीएम वाराणसी से कहा है कि वह बीएसए के साथ स्कूलों की जांच कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दें। स्कूलों की खराब दशा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि जर्जर हो चुके स्कूल भवनों में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा का तत्काल इंतजाम किया जाए।

जनअधिकार मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सीडी सिंह की पीठ ने यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया है कि संस्था की ओर से बनारस के 17 प्राथमिक विद्यालयों का निरीक्षण कराया गया। निरीक्षण में सामने आया कि कई स्कूल काफी खराब हालत में हैं और उनका भवन कभी भी गिर सकता है। कुछ स्कूल ऐसे हैं जो एक ही कमरे में चल रहे हैं।

याची संस्था का कहना है कि औसानगंज का एक स्कूल एक ही कमरे में संचालित हैं। वहां सुविधाओं के नाम पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। एक ही कमरे में 70 बच्चे जो कक्षा एक से पांच तक में पढ़ते हैं बैठते हैं और तीन अध्यापक उनको पढ़ाते हैं। इसी प्रकार से प्राइमरी स्कूल बुलानाला में 45 बच्चे एक ही कमरे में पढ़ते हैं।

औसानगंज, सोनारपुर, राजघाट, रामघाट, पीली कोठी, मछोदरी, कमलागढ़, काल भैरव, दुर्गाघाट आदि विद्यालयों में सुविधाओं की कमी है। गणेश महल स्थित विद्यालय में भी एक ही कमरा है। बच्चों की संख्या 53 है। जगतगंज के स्कूल में टीन शेड के नीचे 45 बच्चे पढ़ते हैं। मैत्री मठ विद्यालय का भवन काफी जर्जर हालत में है। यहां 50 बच्चे हैं। लक्खीघाट में दो कमरों में 90 बच्चे हैं।

इन स्कूलों की हालत काफी जर्जर है और भवन कभी भी गिर सकता है। जिससे यहां पढ़ रहे बच्चों और अध्यापकों को खतरा हो सकता है। कोर्ट ने डीएम को इन विद्यालयों की जांच करने और बच्चों की सुरक्षा का इंतजाम करने का निर्देश दिया है।
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