रिश्तों की पाठशाला: पहचानिए सच्चा दोस्त - Kashi Patrika

रिश्तों की पाठशाला: पहचानिए सच्चा दोस्त


“दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए” 
राहत इंदौरी की यह बात यूं नहीं है, क्योंकि घर-परिवार से इतर दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो आपने स्वयं चुना है। भावुकता और विश्वास की डोर से बना यह रिश्ता स्वार्थ से परे हो जो जीवन भर आपको थामे रखता है। लेकिन आपने यह चुनाव गलत कर लिया, तो सिर्फ विश्वास को ही आघात नहीं पहुंचता, बल्कि कभी-कभी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। इसलिए मित्र बनाने से पहले कुछ बातों पर गौर जरूर करें-

बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती की कहानी से तो सभी परिचित हैं, जब मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए दोस्त का दिल निकालने से गुरेज नहीं करता। हालांकि, बंदर ने सूझबूझ से अपनी जान बचा ली, मगर जोखिम लेने की जरूरत ही क्यों पड़े, पहले ही संभल जाएं, तो बढ़िया है। मशहूर राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री 'चाणक्य' ने सच्चे मित्र की पहचान के कुछ तरीके बताए हैं, जिन्हें अपनाया जा सकता है।

त्याग की भावना
चाणक्य कहते हैं कि यदि आपको जानना हो कि आपका मित्र सच्चा है या केवल स्वार्थवश आपसे जुड़ा है, तो यह समझने की कोशिश करें कि क्या उसमें त्याग की भावना है या नहीं। क्या आपके लिए वह अपनी किसी वास्तु, किसे औहदे, किसी भी बात पर त्याग कर सकता है। यदि वह त्याग के लिए राजी है, तो वह वाकई आपका सच्चा मित्र है।

भरोसे की परख
अपने मित्र को कोई रहस्य की बात बताएं और उससे वादा लें कि वह इस बात को किसी से नहीं कहेगा। फिर कुछ दिनों का इंतजार करें। अगर इस बीच आपको वही बात किसी और से जानने को मिले, ऐसे मित्र से जल्द से जल्द दूरी बना लें।

चरित्र भी महत्वपूर्ण
कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता, लेकिन यदि आपके मित्र में दूसरों का बुरा सोचने की आदत है, तो इस तरह के मित्र का त्याग कर दें। चाणक्य के अनुसार ऐसा मित्र आपके जीवन को दूषित कर सकता है।

स्वार्थी इंसान से रहे दूर
चाणक्य कहते हैं कि केवल अपने स्वार्थ के लिए जीने वाला व्यक्ति कभी किसी का सगा नहीं हो सकता है। और अगर वह आपके लिए कुछ कर भी रहा हो, तो इसके पीछे भी उसका कोई ना कोई स्वार्थ जरूर छिपा होता है। स्वार्थी इंसान के साथ कभी दोस्ती ना बनाएं और अगर आपका मित्र आपको स्वार्थी लगे, तो उससे दूर हो जाएं।

इनसे रहे सावधान
ऐसा अव्यक्ति जो झूठ बोलने, चोरी करने, किसी भी तरह का गलत काम करने में संकोच ना करें। जो रिश्तों का सम्मान न करे। जिसमें उदारता का गुण ना हो, ऐसा व्यक्ति किसी की भी मित्रता के लायक नहीं होता है।
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