नजरों से गुफ्तगू की हदें खत्म हो चुकीं - Kashi Patrika

नजरों से गुफ्तगू की हदें खत्म हो चुकीं


इक बे-करार दिल से मुलाकात कीजिए, 
जब मिल गए हैं आप तो कुछ बात कीजिए।

पहले-पहल हुआ है मेरी जिंदगी में दिन,
जुल्फों में मुँह छुपा के न फिर रात कीजिए। 

नजरों से गुफ्तगू की हदें खत्म हो चुकीं, 
जो दिल में है जबाँ से वही बात कीजिए। 

कल इंतिकाम ले न मेरा प्यार आप से, 
इतना सितम न आज मेरे साथ कीजिए।

बस एक खामोशी है हर इक बात का जवाब, 
कितने ही जिंदगी से सवालात कीजिए।

नजरें मिला मिला के नजर फेर फेर के,
मजरूह और दिल के न हालात कीजिए।

दिल के सिवा किसी को नहीं जिन की कुछ खबर,
दुनिया से किया बयाँ वो हिकायात कीजिए।

■ नौशाद अली

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