जब मिल गए हैं आप तो कुछ बात कीजिए।
पहले-पहल हुआ है मेरी जिंदगी में दिन,
जुल्फों में मुँह छुपा के न फिर रात कीजिए।
नजरों से गुफ्तगू की हदें खत्म हो चुकीं,
जो दिल में है जबाँ से वही बात कीजिए।
कल इंतिकाम ले न मेरा प्यार आप से,
इतना सितम न आज मेरे साथ कीजिए।
बस एक खामोशी है हर इक बात का जवाब,
कितने ही जिंदगी से सवालात कीजिए।
नजरें मिला मिला के नजर फेर फेर के,
मजरूह और दिल के न हालात कीजिए।
दिल के सिवा किसी को नहीं जिन की कुछ खबर,
दुनिया से किया बयाँ वो हिकायात कीजिए।
■ नौशाद अली
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