सत्ता की चाह में नित नए वादों-दावों-योजनाओं की बाढ़ सी आ गई है। रोजगार और विकास को लेकर गढ़े जा रहे नित नए मानकों की जमीनी सच्चाई को बयान करती एक खबर सामने आई है। यूपी के पुलिस विभाग में चपरासी/संदेशवाहकों के लिए 62 पदों के लिए निकली वैकेंसी के लिए 93 हजार आवेदन किए गए। उससे भी ज्यादा बुरी खबर यह है कि 5वीं पास योग्यता के इस पद के लिए करीब 50 हजार ग्रेजुएट, 28 हजार पोस्ट ग्रेजुएट और 3700 पीएचडी धारकों ने आवेदन किया है।
ऐसी ही नोटबंदी को लेकर विपक्ष से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से उठाए जा रहे सवालों को दुरुस्त करती “द इंडियन एक्सप्रेस” की रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी से देश के सूक्ष्म और लघु उद्योगों को नोटबंदी और बाद में जीएसटी लागू होने से तगड़ा झटका लगा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का लोन डिफॉल्ट मार्जिन मार्च 2017 के 8249 करोड़ रुपए के मुकाबले मार्च 2018 तक बढ़कर 16118 करोड़ रुपए यानी कि लगभग दोगुना हो गया है। यह आंकड़ा “द इंडियन एक्सप्रेस” ने आरटीआई के तहत प्राप्त किया है। आरटीआई से यह भी पता चला है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का एनपीए 82382 करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च 2018 तक 98500 करोड़ रुपए हो गया है।
बहरहाल, शैक्षणिक योग्यताओं के बावजूद नौकरियों की लाचारी के कारण विवशता का ये हाल! तिस पर अजीबोगरीब निर्णय से छोटे उद्योगों के बुरे हाल से सरकार की नीयत पर सवाल तो उठते हैं। गरीब-किसान के हित की बात करने वाली सरकार में मध्यम वर्ग का भी जीवन भी मुश्किलों में है। फिर भी, आम जनता से किसे सरोकार है और चुनावी माहौल में आंकड़ों को सच मानने की किसको पड़ी है!
■ संपादकीय
ऐसी ही नोटबंदी को लेकर विपक्ष से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से उठाए जा रहे सवालों को दुरुस्त करती “द इंडियन एक्सप्रेस” की रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी से देश के सूक्ष्म और लघु उद्योगों को नोटबंदी और बाद में जीएसटी लागू होने से तगड़ा झटका लगा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का लोन डिफॉल्ट मार्जिन मार्च 2017 के 8249 करोड़ रुपए के मुकाबले मार्च 2018 तक बढ़कर 16118 करोड़ रुपए यानी कि लगभग दोगुना हो गया है। यह आंकड़ा “द इंडियन एक्सप्रेस” ने आरटीआई के तहत प्राप्त किया है। आरटीआई से यह भी पता चला है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का एनपीए 82382 करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च 2018 तक 98500 करोड़ रुपए हो गया है।
बहरहाल, शैक्षणिक योग्यताओं के बावजूद नौकरियों की लाचारी के कारण विवशता का ये हाल! तिस पर अजीबोगरीब निर्णय से छोटे उद्योगों के बुरे हाल से सरकार की नीयत पर सवाल तो उठते हैं। गरीब-किसान के हित की बात करने वाली सरकार में मध्यम वर्ग का भी जीवन भी मुश्किलों में है। फिर भी, आम जनता से किसे सरोकार है और चुनावी माहौल में आंकड़ों को सच मानने की किसको पड़ी है!
■ संपादकीय
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