Pages

Pages

Pages

काशी सत्संग: अच्छाई और बुराई


“एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन और दुर्योधन को अपने पास बुलाया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मुझे दस बुरे व्यक्ति का नाम लिख कर दो, नाम उनके लिखना जो तुमको बुरे लगते हों। फिर उन्होंने दुर्योधन से कहा कि तुम मुझे दस ऐसे व्यक्तियों का नाम लिखकर दो, जो तुम्हें अच्छे लगते हैं। और इसके लिए भगवान ने कुछ समय
निर्धारित कर दिया। समय पूरा होने पर दोनों ने असमर्थता जताते हुए भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। श्रीकृष्ण ने इसका कारण पूछा, तो ऐसा अर्जुन बोले, “भगवन, मुझे कोई बुरा नहीं दिख रहा, सब में कुछ न कुछ अच्छाई है।” और दुर्योधन बोला, “भगवन कोई भी अच्छा नहीं है, सब में कुछ न कुछ बुराई है।” भगवान श्रीकृष्ण की इस परीक्षा का तात्पर्य यह है कि अर्जुन स्वयं अच्छे हैं, इसलिए उन्हें कोई बुरा नहीं दिखता। इसके विपरीत दुर्योधन के खुद का मन साफ नहीं है, जिससे उसे सबमें कुछकुछ न कुछ बुराई दिखती है। पहले स्वयं का मन साफ करो, दुर्गुणों का त्याग करो, फिर सारा जग अच्छा दिखेगा।
ऊं तत्सत...

No comments:

Post a Comment