अब कैसे छूटे राम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै 'रैदासा'॥
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै 'रैदासा'॥
कोई भी काम करने से पहले प्रभु का ध्यान हमें किसी भी मनभेद से दूर ले जाता है। आज का आप का सर्वोत्तम पक्षकार आप को किसी सुनहरी दुनिया का ख्वाब नहीं दिखाएगा और इसी दुनियां को सुनहरी दुनियां बनाने के गुण बताएगा।
अपने आस-पास की दुनियां सुनहरी बनाने का सर्वोत्तम उपाय यह है कि आप सभी के साथ एक सा व्यवहार करें, फिर चाहे वो बाहरी हो या घर का। पहला कदम यही से रखियेगा। दूसरे कदम पे खुद को संयम के सांचे में अच्छी तरह ढाल लेना। इन दो कदमो को उठा सकने के बाद आप को अपनी सुनहरी दुनिया बनाने के लिए समय का समुचित और सर्वोत्तम इस्तेमाल है। समय के सही इस्तेमाल से आप कभी भी खाली नहीं रहेंगे और कहते भी है न खाली दिमाग शैतान का घर होता है, तो आप शैतान के प्रभाव से सदैव दूर ही रहेंगे।
इन तीन महत्वपूर्ण कदमों को उठा चुकने के बाद आप को अब किसी भी विपत्ति या समयानुकूल स्थिति का सामना सम भाव से करने की और कदम उठाना है। इस कदम को आप रोज अपने कार्यो को परम ब्रह्म को समर्पित कर उठा सकते है। आप जब रोज अपने कार्यो को उस परम ब्रह्म को समर्पित कर देंगे तो आप का अपना कुछ भी नहीं रह जायेगा और आप अपने दैनिक जीवन को सदैव सुनहरी दुनियां ही बनाएंगे।
अपने को सदैव नई चुनौतियों के लिए तैयार करें और आखरी कदम है अपने से बड़ो का सदैव सम्मान करें।
- आप का सर्वोत्तम पक्षकार
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