कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद सरकार बनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है। येदियुरप्पा और सिद्धरमैया दोनों सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि भाजपा के हिस्से में सबसे ज्यादा सीटें आईं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तिलिस्म के साथ ही यूपी के “योगी” को भी जाता है। भारतीय जनता पार्टी में बड़े स्टार प्रचारक के तौर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ा है। नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा को एक और ऐसा नेता मिल गया है, जिसका जलवा सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों में भी दिख रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक में 7 दिन में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में 24 जनसभाओं को संबोधित किया। हालांकि, भाजपा ने कर्नाटक चुनाव प्रचार के लिए उनकी 35 रैलियां तय की थीं, लेकिन मौसम के कहर के कारण उन्हें कर्नाटक दौरे से समय पूर्व वापसी करनी पड़ी। योगी ने 133 सीटों पर 24 रैलियां की। जिन-जिन इलाकों में योगी ने प्रचार किया, वहां के मतदाताओं को भाजपा की ओर मोड़ने में सफल रहे। जानकारों का कहना है कि मतदाताओं को लुभाने में योगी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से भी आगे निकल गए हैं।
पहले भी पार लगाई नैया
सीएम बनने के बाद योगी भाजपा के लिए सबसे उपयोगी साबित हुए हैं। अमित शाह ने प्रचारक के तौर पर उनका उपयोग पहले गुजरात में किया। योगी इसके बाद हिमाचल गए। दोनों जगह भाजपा को सफलता हासिल हुई। भाजपा के लिए योगी सबसे ज्यादा उपयोगी त्रिपुरा में साबित हुए, जहां वामपंथ का मजबूत किला ढह गया। योगी का नाथ संप्रदाय का अगुआ होने का फायदा त्रिपुरा में मिला। दरअसल, 35 लाख की आबादी वाले त्रिपुरा के करीब एक तिहाई यानी 12 से 13 लाख लोग नाथ संप्रदाय को मानते थे। वहीं, गैर मुस्लिम आबादी में करीब 70 फीसदी लोग नाथ सम्प्रदाय को मानने वाले हैं। त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय के 18 मंदिर हैं। बीजेपी ने त्रिपुरा की जनता से योगी के इसी कनेक्शन को कैश करवाया। योगी ने वहां 22 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया, जिनमें 17 में जीत हासिल हुई।
हिंदुत्व का चेहरा
योगी कर्नाटक में भी हिंदुत्व के प्रमुख चेहरे के रूप में सामने आए। कर्नाटक में लिंगायत समाज के 450, जबकि वोक्कालिगा के करीब 100 से ज्यादा मठ हैं। इसके अलावा कुरबा समुदाय के 70 मठ तो नाथ संप्रदाय के भी कई मठ हैं। कर्नाटक की सियासत में इन मठों की अपनी अहमियत है। योगी चुनाव प्रचार के दौरान रात में अलग-अलग दिन इन्हीं मठों में रुके। वह रोज किसी न किसी मठ के महंत से मिलते भी रहे। कुल मिलाकर, कांग्रेस के लिंगायत कार्ड के जवाब में भाजपा के हिंदुत्व के नारे को योगी के अंदाज और चेहरे ने और मजबूती से रखा। नतीजतन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।
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